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विद्यार्थी ही राष्ट्र की आधारशिला हैं…By_Sharik
created Oct 20th 2017, 02:28 by Ayush Verma
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विद्यार्थी ही राष्ट्र की आधारशिला हैं उनमें जिज्ञासा और उत्साह की भावना भरी होती है। देश के प्रति जागरूक रहना उसका पुनीत कर्तव्य है। वे ही देश के भावी नागरिक एवं कर्णधार हैं। राष्ट्र के निर्माण के लिए जिस त्याग की आवश्यकता होती है उसे विद्यार्थी को पूरा करना आवश्यक है। संसार का इतिहास इस बात का गवाह है कि राष्ट्रीय आंदोलन को नया मोड़ देने का कार्य विद्यार्थी वर्ग ने ही किया। आज हमें अपने राष्ट्र का नव-निर्माण करना है, राष्ट्र के स्वरूप में परिवर्तन लाना है। सदियों की दासता के पश्चात् हमारा राष्ट्र नव-निर्माण की ओर अग्रसर हो रहा है। अत: हमें ऐसे नवयुवकों और विद्यार्थियों की आवश्यकता है जो निस्स्वार्थ भाव से देश की सेवा कर सकें, देश का नव-निर्माण करने में अपना योगदान प्रदान कर सकें। जब तक राष्ट्र बाहरी आक्रमण से सुरक्षित नहीं तब तक नव-निर्माण की आशा नहीं की जा सकती है। अतः सर्वप्रथम राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न हमारे सामने आता है। कभी-कभी विदेशी शक्तियाँ इस प्रकार की स्थिति पैदा कर देती हैं जिससे राष्ट्र की सार्वभौमिकता पर खतरा उपस्थित हो जाता है, तब राष्ट्र अपनी सुरक्षा की याचना करता है। वह नवयुवकों और विद्यार्थियों का बलिदान माँगता है इस पुकार को अनसुना करना ठीक नहीं, इसकी अवेहलना करना मरण के समान है। अत: विद्यार्थियों का यह परम कर्तव्य एवं ध्येय है कि वे तन-मन और धन का होम कर राष्ट्र की रक्षा के लिए आगे आएँ|
इस प्रकार की स्थिति में विद्यार्थियों को चाहिए कि वे जन-जागरण पैदा कर राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधने का प्रयास करें। लोगों के मन में फैली शंकाओं का निवारण करें, लोगों में आत्मबल का संचार करें। देश में धार्मिकता, प्रांतीयता या जातीयता के नाम पर पनपने वाले झगड़ों को समूल नष्ट कर देना का प्रयास करें।
देश के नौजवान और विद्यार्थी अनेक बार अपने दायित्व का परिचय दे चुके हैं। संकट काल में धन की आवश्यकता होती है। नागरिक ठीक समय पर और ईमानदारी के साथ अपने टैक्स जमा करें इसके लिए विद्यार्थियों को आगे कदम बढ़ाना चाहिए। एक आदर्श विद्यार्थी ही राष्ट्र की डूबती नौका का कर्णधार होता है। उसके हृदय में मँडराती आत्म सम्मान की भावना शत्रुओं को नष्ट कर देती है। विद्यार्थी ही अपने संरक्षकों को राष्ट्र की स्थिति से भली भांति अवगत कराते हैं। वे जन-जन में जागरण पैदा करके देश की ध्वनि को विस्तारित करते हैं।
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इस प्रकार की स्थिति में विद्यार्थियों को चाहिए कि वे जन-जागरण पैदा कर राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधने का प्रयास करें। लोगों के मन में फैली शंकाओं का निवारण करें, लोगों में आत्मबल का संचार करें। देश में धार्मिकता, प्रांतीयता या जातीयता के नाम पर पनपने वाले झगड़ों को समूल नष्ट कर देना का प्रयास करें।
देश के नौजवान और विद्यार्थी अनेक बार अपने दायित्व का परिचय दे चुके हैं। संकट काल में धन की आवश्यकता होती है। नागरिक ठीक समय पर और ईमानदारी के साथ अपने टैक्स जमा करें इसके लिए विद्यार्थियों को आगे कदम बढ़ाना चाहिए। एक आदर्श विद्यार्थी ही राष्ट्र की डूबती नौका का कर्णधार होता है। उसके हृदय में मँडराती आत्म सम्मान की भावना शत्रुओं को नष्ट कर देती है। विद्यार्थी ही अपने संरक्षकों को राष्ट्र की स्थिति से भली भांति अवगत कराते हैं। वे जन-जन में जागरण पैदा करके देश की ध्वनि को विस्तारित करते हैं।
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