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राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस के चुनाव अभियान के गति पकड़ने के बाद तो पार्टी खासतौर पर उम्मीदवारों के चयन में सर्तकता बरत रही है।
created Nov 18th 2017, 10:37 by Aditya kumar singh
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गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी शह-मात के दौर का आलम यह है कि उम्मीदवारों के ऐलान को लेकर दोनों पार्टियां एक दूसरे की लिस्ट का इंतजार कर रही हैं। कांग्रेस ने गुजरात के पहले चरण के लिए करीब 75 उम्मीदवार तय कर लिये हैं मगर भाजपा की सूची का इंतजार कर रही पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। जबकि भाजपा के भी उम्मीदवार बुधवार को ही तय हो चुके हैं लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।
कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवारों के चयन को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। गुजरात में राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस के चुनाव अभियान के गति पकड़ने के बाद तो पार्टी खासतौर पर उम्मीदवारों के चयन में सर्तकता बरत रही है।
कांग्रेस रणनीतिकारों का मानना है कि गुजरात में अब तक पार्टी की चुनावी रणनीति की दशा-दिशा सही राह पर पर है और बेहतर उम्मीदवारों का चयन चुनाव में उसको बढ़त दे सकता है। इस अहमियत को भांपते हुए खुद राहुल ने उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रुप देने में खासी सक्रिय भूमिका निभाई है। इसके बावजूद पार्टी इस बात को लेकर संशकित है कि गुजरात के सामाजिक समीकरणों को साधने की चुनावी जरूरत की वजह से टिकट पाने से वंचित पुराने कार्यकर्ताओं का असंतोष कांग्रेस की उम्मीदों को झटका दे सकता है। साफ है कि कांग्रेस बागी उम्मीदवारों को रोकने की रणनीति के हिसाब से भी अपनी सूची जल्द जारी करने से बच रही।
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल, कांग्रेस में शामिल हुए ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और भाजपा विरोध की वजह से रणनीतिक समर्थन दे रहे युवा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी से जुड़े काफी लोगों को कांग्रेस का टिकट दिया जाना है। चुनाव के लिहाज से समीकरण साधने की इस जरूरत में कांग्रेस के लिए इन सीटों पर अपने पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी को काबू में रखना आसान नहीं है। इन सब के बीच अपने उम्मीदवारों के ऐलान से पहले कांग्रेस की निगाहें भाजपा की सूची पर लगी है और पार्टी उम्मीद कर रही थी कि बुधवार को भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद गुरूवार को उसके प्रत्याशियों की घोषणा हो जाएगी। मगर भाजपा भी गुजरात की प्रतिष्ठा की लड़ाई में जोखिम लेते हुए नहीं दिख रही। वैसे गुजरात के कांग्रेस के दूसरे चरण के उम्मीदवारों का नाम तय करने के लिए शुक्रवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी और इसके बाद ही सूची जारी होने पर फैसला होगा।
कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवारों के चयन को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। गुजरात में राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस के चुनाव अभियान के गति पकड़ने के बाद तो पार्टी खासतौर पर उम्मीदवारों के चयन में सर्तकता बरत रही है।
कांग्रेस रणनीतिकारों का मानना है कि गुजरात में अब तक पार्टी की चुनावी रणनीति की दशा-दिशा सही राह पर पर है और बेहतर उम्मीदवारों का चयन चुनाव में उसको बढ़त दे सकता है। इस अहमियत को भांपते हुए खुद राहुल ने उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रुप देने में खासी सक्रिय भूमिका निभाई है। इसके बावजूद पार्टी इस बात को लेकर संशकित है कि गुजरात के सामाजिक समीकरणों को साधने की चुनावी जरूरत की वजह से टिकट पाने से वंचित पुराने कार्यकर्ताओं का असंतोष कांग्रेस की उम्मीदों को झटका दे सकता है। साफ है कि कांग्रेस बागी उम्मीदवारों को रोकने की रणनीति के हिसाब से भी अपनी सूची जल्द जारी करने से बच रही।
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल, कांग्रेस में शामिल हुए ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और भाजपा विरोध की वजह से रणनीतिक समर्थन दे रहे युवा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी से जुड़े काफी लोगों को कांग्रेस का टिकट दिया जाना है। चुनाव के लिहाज से समीकरण साधने की इस जरूरत में कांग्रेस के लिए इन सीटों पर अपने पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी को काबू में रखना आसान नहीं है। इन सब के बीच अपने उम्मीदवारों के ऐलान से पहले कांग्रेस की निगाहें भाजपा की सूची पर लगी है और पार्टी उम्मीद कर रही थी कि बुधवार को भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद गुरूवार को उसके प्रत्याशियों की घोषणा हो जाएगी। मगर भाजपा भी गुजरात की प्रतिष्ठा की लड़ाई में जोखिम लेते हुए नहीं दिख रही। वैसे गुजरात के कांग्रेस के दूसरे चरण के उम्मीदवारों का नाम तय करने के लिए शुक्रवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी और इसके बाद ही सूची जारी होने पर फैसला होगा।
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