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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH - (MP)

created Nov 20th 2017, 09:31 by AnujGupta1610


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फिल्‍म सेन्‍सर बोर्ड के अध्‍यक्ष पद से पहलाज निहलानी हटा गए, क्‍योंकि उन पर आरोप था कि वे बहुत सख्‍त हैं और उनके पद पर उदारावादी प्रसून जोशी को नियुक्‍त किया गया, जिनका लिखा गीत 'अंधेरे से डर लगता है मां बहुत सराहा गया था। ताजा खबर यह है कि प्रसून जोशी सेन्‍सर संबंधित कामों के लिए यथेष्‍ट वक्‍त नहीं निकाल पा रहे हैं इसी कारण कुछ फिल्‍मों का प्रदर्शन स्‍थगित करना पड़ा। इससे निर्माताओं को बहुत हानि हो रही है। अब कुछ फिल्‍मकार चाहते हैं कि सख्‍त पहलाज निहलानी की घर वापसी हो। याद आता है छोटे परदे का ऑफिस। पंकज कपूर अभिनीत आम आदमी एक दफ्तर में आवेदन करता है। इस दफ्तर की एक महिला सारा समय स्‍वेटर बुनती रहती है। उस दफ्तर का खैनी मलता चपरासी भी रिश्‍वतखोर है। यह एक सामाजिक सोद्देश्‍यता वाला कार्यक्रम रहा। प्राय: क्लर्क कुंठाओं के शिकार हो जाते हैं। दफ्तर से घर लौटते ही ये अपनी कुंठाओं के कोड़े से पत्‍नी को पीटते हैं। मैक्सिम गोर्की ने कहा था कि युद्ध में चली हर गोली अंतत: किसी मां की छाती पर ही लगती है। उसी तरह कुंठाओं के चाबुक भी किसी किसी पत्‍नी की पीठ पर ही बरसते हैं। अपने से अधिक शक्तिशाली से पिटा हुआ व्‍यक्ति अपने से कमजोर पर उसका बदला लेता है। प्रथम विश्‍वयुद्ध के समय बने डाक के सेन्‍सर नियमों को ही फिल्‍म प्रमाणन में जगह दी गई। गुलामी के दिनों में हुकूमते बरतानिया केवल आजादी की लड़ाई उग्र कर देने वाली सामग्री को ही प्रतिबंधित करती थी। उन दिनों प्रदर्शित अनेक फिल्‍मों में चुंबन के दृश्‍
हैं परंतु आजादी प्राप्‍त करने के बाद सेन्‍सर नियम की पहली गाज चुंबन पर ही गिरी। सेन्‍सर की निगाह केवल नारी शरीर पर ही के्ंद्रित रही है और अन्‍य किस्‍म की अभद्रता बिना हिचक जारी रही। दादा कोंडके ने लगातार 17 सुपरहिट फिल्‍मों का निर्माण किया और दो अर्थ वाले संवादों का जमकर प्रयोग हुआ।

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