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हाईकोर्ट के मेन्‍स की परीक्षा के लिए आवश्‍यक टेक्‍स्‍ट (सॉंईराम कम्‍प्‍यूटर सेंटर देवरी कलॉ सागर 9098979119)

created Nov 20th 2017, 12:33 by user1426656


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साल भर पहले इसी हफ्ते डोल्‍ड ट्रम्‍प अमेरिका के राष्‍ट्रपति चुने गये थे। कई लोगों ने अनुमान लगाया था कि अमेरिकी विदेश नीति विनाशक मोड़ लेगी। ट्रम्‍प ने कहा था कि वे व्‍यापार समझौते खत्‍म कर देगें सहयोगी देशों का साथ छोड़ देगें नियम आधारित विश्‍व व्‍यवस्‍था के नीचे बम रख देगें और असली बम गिराने में संकोच नहीं करेगें। अब तक ट्रम्‍प की विदेशी नीति उतनी खौफनाक नहीं है जिस का उन्‍होंने वादा किया था। सही है कि वे पेरिस समझौते से बाहर गये है जिससे जलवायु परिवर्तन रोकना और कठिन हो गया है। एक बड़ा व्‍यापारिक करार ट्रासंपेसिफिक पार्टनरसिप भी उन्‍होंनें छोड दी है। लेकिन वे नाटों में बने हुऐ हैं। कोई युद्ध उन्‍होंने नहीं छेड़ा है। अफगानस्‍तान सरकरार को अमेरिकी रक्षा कबच बढाया और आईएसआई को कब्‍जा को छुडाने में ईरान की मदद की है 12 दिन की एशिया की यात्रा के बाद ट्रम्‍प को दुनिया से पूरी तरह कटे हुए व्‍यक्ति के रूप में खारिज करना कठिन है। कई लोगों को ट्रम्‍प के आस पास मौजूद सैन्‍य बलों के अफसरों से राहत मिलती है वह कहते हैं कि उनके सेना प्रमुख, रक्षामंत्री और सुरक्षा सलाहकार उन्‍हें कुछ गलत करने से रोकेगें। आशावादी तो यहॉं तक कहते हैं कि वे रैनाल्‍ड रैगन का अनुसरण कर सकते हैं1 कूटनीति को छटका देकर अमेरिका की सैन्‍य शक्ति की ताकत दिखा कर वे तनाव में जी रहे हैं उत्‍तर कोरिया को इतना डरा देगें कि वह सोबियत संघ की तरह ढह जायेगा कुछ विश्‍वास पूर्वक होते है कि दुनिया मे अमेरिका की प्रतिष्‍ठा को वे कुछ समय के लिए भंग भी कर तों 2020 में वह सत्‍ता से बाहर हो जायेगें और सब कुछ पहले जैसा हो जायेगा। यह सब ख़ुशफहमियां हैं। सुरक्षा के मोर्चे पर ट्रम्‍प ने कुछ भयावह गलतियां टाली जैसे वह धमकी देते थे, उन्‍होंने ताईवान को लेकर चीन से कोई अनावश्‍यक विवाद नहीं खड़ा किया है। चुनावी हैकिंग के प्रकरण ने उन्‍हें पुतिन से कोई सौदेबाजी करने से रोका है, वरना रूस के सारे पड़ौसी उसकी दया के मुहताज हो जाते चीन को भी उन्‍होंने उत्तर कोरिया पर कुछ दबाव डालने पर राजी कर लिया है कि वह परमाणु जखीरा बढाना बंद करे लेकिन, उन्‍होंने कुछ गंभीर गलतियां भी की हैं जैसे ईरान के साथ परमाणु समझौते का महत्‍व कम किया जो उसकी परमाणु बम बनाने की क्षमता पर रोक लगाता है। उन्‍हें लगता है कि इतिहास से कुछ सीखने की जरुरत नहीं है वह पुतिन और सी जिग पिंग जैसे बाहुबलियों से गर्मजोशी दिखाते हैं। जनरलों से उन्‍हें जितना प्रेम है उतना ही राजनैयिकों से नफरत उन्‍होंने ग्रहमंत्रालय ढहा दिया और ढेर सारे अनुभवी राजदूत गवां दिये। उनके ट्वीट भी मजाक नहीं होते। वह अपने अधिकारियों से की बात का खण्‍डन कर उनका रुतबा घटा देते हैं अभी संकट में उनकी परीक्षा होनी है। समझदार जनरल उन्‍हें सलाह दे सकते हैं लेकिन उनके तेवर ऐसे हैं कि जिससे मित्र शत्रु दोनो की चिंता में पड़ जाते हैं। व्‍यापार के मामले में उनके दृष्टिकोण में एक ही बात है कि निर्यातक जीतते हैं और आयातक हारते हैं उन्‍होंने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि वह बहुपक्षीय की बजाये द्विपक्षीय करार पसंद करते हैं।  

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