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BUDDHA ACADEMY, TIKAMGARH (MP)
created Nov 21st 2017, 04:53 by VivekSen1328209
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जम्मू-कश्मीर आतंकवाद के चलते दशकों से जब तक सुर्खियों में रहता आया है, लेकिन पिछले हफ्ते एक ऐसी घटना हुई, जो गुमराह होकर आतंकवादी संगठनों की गिरफ्त या प्रभाव में आ चुके युवकों को नई राह दिखा सकती है। कुछ दिन पहले लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुए कॉलेज छात्र और फुटबॉलर अरशिद माजिद खाँ ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमपर्ण कर दिया। यों तो अफवाह उड़ाने और तनाव फैलाने में सोशल मीडिया की भूमिका किसी से छिपी नहीं है, पर इस मामले में उसका एक बहुत सकारात्मक इस्तेमाल देखने में आया। सोशल मीडिया पर अपनी माँ और पिता की घर लौटने की अपील वाला वीडियो देखने के बाद 20 वर्षीय अरशिद ने बीते गुरुवार की आधी रात को सेना के शिविर में पहुँचकर आत्मसमपर्ण कर दिया। सामान्य जीवन में अपने इकलौते बेटे की वापसी से माता-पिता को कितनी खुशी हुई होगी, सही ही अंदाजा लगाया जा सकता है। अरशिद और उसके परिवार की जिंदगी तबाह होने से बच गई यह संतोष का विषय तो है ही, इस वाकेय ने यह भी दिखाया है कि जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति का एक शांतिपूर्ण रास्ता भी हो सकता है। यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं कि अरशिद के आत्मसमपर्ण की सराहना करते हुए सेना ने मुख्यधारा में उसकी सुगम वापसी का भरोसा दिलाया है।
दक्षिण कश्मीर में मानवीय स्पर्श के साथ लोगों से संपर्क बनाने में जुटे मेजर जनरल बीएस राजू ने कहा है कि अरशिद पर कोई आरोप नहीं लगाया जाएगा, उसे अपने करियर और अपनी खेल-प्रतिभा को निखारने का पूरा मौका दिया जाएगा। यह आश्वासन कीमती है, क्योंकि एक बार हिंसा का रास्ता पकड़ लेने के बाद वापसी आसान नहीं होती। गुमराह हुए युवक को लगता है कि वह लौटे भी आए, तो पुलिस या सुरक्षा बल उसे जीने नहीं देंगे। बीएस राजू ने यह भी कहा है कि आतंकवाद से जुड़ने के बाद भले ही कुछ युवाओं ने छोटे-मोटे अपराध किए हों, मैं उन्हें आश्वस्त करता हूँ कि उनके प्रति नरम रुख रखा जाएगा। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी अरशिद की वापसी पर खुशी जताई है। दूसरी तरफ लश्कर-ए-तैयबा ने अपनी प्रतिक्रया में कहा है कि अरशिद की मां के अनुरोध को देखते हुए उसे जाने दिया गया। अगर मान लें कि लश्कर का दावा सही है, यानी आत्मसमपर्ण करने के अरशिद के फैसले की जानकारी उसे थी, फिर भी उसने न अड़ंगा लगाया और न ही कोई खतरा पैदा किया, तब भी कई सवाल उठते हैं। !धन्यवाद!
दक्षिण कश्मीर में मानवीय स्पर्श के साथ लोगों से संपर्क बनाने में जुटे मेजर जनरल बीएस राजू ने कहा है कि अरशिद पर कोई आरोप नहीं लगाया जाएगा, उसे अपने करियर और अपनी खेल-प्रतिभा को निखारने का पूरा मौका दिया जाएगा। यह आश्वासन कीमती है, क्योंकि एक बार हिंसा का रास्ता पकड़ लेने के बाद वापसी आसान नहीं होती। गुमराह हुए युवक को लगता है कि वह लौटे भी आए, तो पुलिस या सुरक्षा बल उसे जीने नहीं देंगे। बीएस राजू ने यह भी कहा है कि आतंकवाद से जुड़ने के बाद भले ही कुछ युवाओं ने छोटे-मोटे अपराध किए हों, मैं उन्हें आश्वस्त करता हूँ कि उनके प्रति नरम रुख रखा जाएगा। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी अरशिद की वापसी पर खुशी जताई है। दूसरी तरफ लश्कर-ए-तैयबा ने अपनी प्रतिक्रया में कहा है कि अरशिद की मां के अनुरोध को देखते हुए उसे जाने दिया गया। अगर मान लें कि लश्कर का दावा सही है, यानी आत्मसमपर्ण करने के अरशिद के फैसले की जानकारी उसे थी, फिर भी उसने न अड़ंगा लगाया और न ही कोई खतरा पैदा किया, तब भी कई सवाल उठते हैं। !धन्यवाद!
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