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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP)

created Feb 20th 2018, 11:59 by AnujGupta1610


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पावा गांव की याद करते हुए बताते हैं कि गांव में अनेक परिवार के बहुत से लोग रहते हैं। वे खेती करते हैं और पशु पालते हैं खेतों में ही सब्जियां उगाते हैं और ताजी-ताजी खाते हैं गांव में लोग गाय का ताजा और शुद्ध दूध पीते है। इसलिए ही गांव के लोग अधिक मजबूत होते हैं। गांव में बिजली कम आती है लेकिन गरमी नहीं होती। रात में खुले आसमान के नीचे चारपाई बिछाकर सब लेट जाते हैं चाँद-सितारे देखते देखते सो जाते हैं शहर की तरह गांव में पानी आने का इंतजार नहीं करना पड़ता बल्कि जब मन करता है, हत्‍था चलाकर नल से पानी निकाला और स्‍वच्‍छ पानी पी लिया। गांव में रहने वाले लोग प्रतिदिन सुबह पांच बजे ही उठकर खेतों में चले जाते हैं, वहां ठंडी-ठंडी हवा का आनंद लेते है, पशुओं को चारा खिलाते हैं तथा गाय का दूध निकालते हैं इसलिए गांव के लोग तंदुरुस्‍त रहते हैं।
    पर वही शहर के लोग गांव के लोगो को अलग नजर से देखते है, और उनका अपमान करते है, और उनको गमार की संज्ञा देते है, आज जो कुछ भी है, सब कुछ शहर को कच्‍चे माल के रूप में जो भी प्राप्‍त होता है, वह
भी पर्दाथ गांव से ही शहर को पहुंचाये जाते है।कुछ बच्‍चों की एक और बुरी आदत होती है। वे जिस घर में जाते हैं, वहां की कोई कोई चीज ले लेना चाहते हैं, अगर उन्‍हें कोई खिलौना पसंद गया, तो वे उसे ले लेते हैं और लौटाने से मना करते है। इस हालत में जिस बच्‍चे का वह खिलौना है, वह रो-रोकर आसमान सिर पर उठा लेता है। उसके माता-पिता की भी बड़ी अजीब हालत होती है।

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