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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) II Subscribe to my Youtube Channel for Hindi dictation (SSC, Steno, High Court)
created Apr 21st 2018, 03:32 by subodh khare
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किसी भी आधुनिक कल्याणकारी देश के लिये अपने नागरिकों की सेहत सर्वोपरि होती है। यह विडंबना ही है कि हमारी आबादी की विशाल तबका स्वास्थ्य रक्षा सुविधाओं से वंचित है। हाल में घोषित 'आयुष्मान भारत' योजना का लक्ष्य इसी समस्या पर ध्यान देना है। इसके माध्यम से सरकार 50 करोड़ वंचित नागरिकों तक सरकारी व निजी स्वास्थ्य रक्षा सुविधाएं पहुंचाना चाहती है। प्रति परिवार 5 लाख रुपए का हेल्थ कवर देकर सरकार इसे साकार करना चाहती है। 'आयुष्मान' के मूल सिद्धांतों में से एक है सहकारी संघवाद और राज्यों के लिये लचीलापन। राज्य सरकारों को अमल की पद्धति तय करने की छूट है। इसका अच्छा लाभ उठाने के लिए जरूरी है कि सरकार व उद्योग को कवरेज बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं तक लोगों की पहुंच बनाने का उद्देश्य सामने रखकर भागीदारी करना चाहिए।
जैसे भारत में टीबी और दवा प्रतिरोधी टीबी के मामलों का बहुत बड़ा बोझ़ है। यदि हम इसे 2025 तक खत्म करना चाहते हैं तो टीबी के रोगियों का पता चलने पर और पूरे इलाज के दौरान पोषण की स्थिति का पता लगाते रहना होगा। पोषण के लिए 600 करोड़ रुपए देने का नतीजा बेहतर इलाज और पूरा इलाज लेने की बेहतर दर में होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि आवंटित पैसा रोगी के हित में खर्च हो। फिर तृतीयक स्वास्थ्य रक्षा सेवा देने में बुनियादी ढांचों और काबिल मेडिकल कॉलेज खोलने की पहल से इसमें बहुत मदद मिलेगी। कई वजहों के स्वास्थ रक्षा लगातार परिवर्तनशील क्षेत्र है। हम जब स्वास्थ्य रक्षा सेवाएं देने के नए तरीकों के बारे में सोच रहे हैं। तो टेक्नोलॉजी अनिवार्य है।
भारत में टीबी, मलेरिया, डेंगू, एच1एन1, महामारी बन चुका इन्फ्लुएंजा और रोगों की एंटीबायोटिक रोधी किस्में लगातार सेहत व आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा बनी हुई हैं तो हमें दिल-धमनियों के रोग, डायबिटीज, कैंसर जैसे असंक्रामक रोगों की उभरती चुनौती से भी निपटाना है। इसके कारण स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा पहले की दबाव में है। इलाज के खर्च के कारण हर साल करीब 6 करोड़ लोग गरीबी में धकेल दिये जाते हैं। यदि योजना का अधिकतम फायदा लेना हो तो बजट में घोषित स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न कदमों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे कार्यंक्रमों को आपस में जोड़ना होगा। यह भी स्पष्टता जरूरी है कि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं कौन-सी सेवाएं देगी, कौन-सी अवस्था में रोगी निजी क्षेत्र का लाभ ले सकेंगे और इसके लिए कौन-सा तंत्र उपलब्ध है।
जैसे भारत में टीबी और दवा प्रतिरोधी टीबी के मामलों का बहुत बड़ा बोझ़ है। यदि हम इसे 2025 तक खत्म करना चाहते हैं तो टीबी के रोगियों का पता चलने पर और पूरे इलाज के दौरान पोषण की स्थिति का पता लगाते रहना होगा। पोषण के लिए 600 करोड़ रुपए देने का नतीजा बेहतर इलाज और पूरा इलाज लेने की बेहतर दर में होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि आवंटित पैसा रोगी के हित में खर्च हो। फिर तृतीयक स्वास्थ्य रक्षा सेवा देने में बुनियादी ढांचों और काबिल मेडिकल कॉलेज खोलने की पहल से इसमें बहुत मदद मिलेगी। कई वजहों के स्वास्थ रक्षा लगातार परिवर्तनशील क्षेत्र है। हम जब स्वास्थ्य रक्षा सेवाएं देने के नए तरीकों के बारे में सोच रहे हैं। तो टेक्नोलॉजी अनिवार्य है।
भारत में टीबी, मलेरिया, डेंगू, एच1एन1, महामारी बन चुका इन्फ्लुएंजा और रोगों की एंटीबायोटिक रोधी किस्में लगातार सेहत व आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा बनी हुई हैं तो हमें दिल-धमनियों के रोग, डायबिटीज, कैंसर जैसे असंक्रामक रोगों की उभरती चुनौती से भी निपटाना है। इसके कारण स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा पहले की दबाव में है। इलाज के खर्च के कारण हर साल करीब 6 करोड़ लोग गरीबी में धकेल दिये जाते हैं। यदि योजना का अधिकतम फायदा लेना हो तो बजट में घोषित स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न कदमों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे कार्यंक्रमों को आपस में जोड़ना होगा। यह भी स्पष्टता जरूरी है कि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं कौन-सी सेवाएं देगी, कौन-सी अवस्था में रोगी निजी क्षेत्र का लाभ ले सकेंगे और इसके लिए कौन-सा तंत्र उपलब्ध है।
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