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राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति का मसौदा डिजिटल संचार को लेकर महत्त्वाकांक्षी दृष्टि सामने रखता है। मसौदे में वर्ष 2022 के लिए निम्नलिखित लक्ष्य तय किए गए है। सभी के लिए ब्रॉडबैंड का प्रावधान, डिजिटल संचार के क्षेत्र में 40 लाख अतिरिक्त रोजगारों का सृजन, देश के जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान बढाकर 8 फीसदी करने का लक्ष्य, सूचना एवं संचार तकनीकी विकास सूचकांक में देश को वर्तमान 134वें स्थान से सुधारकर शीर्ष 50 देशों में शामिल करना और डिजिटल संप्रभुता सुनिश्चित करना। उपभोक्ताओं की जरूरत को हल करने के लिए एक नए दूरसंचार लोकपाल के गठन और वेब आधारित शिकायत व्यवस्था कायम करने की बात इसमें शामिल है। इसके अलावा मसौदे में ब्रॉडबैंड के विस्तार के क्षेत्र में निजी-सार्वजनिक भागीदारी की बात कही गई है। नीति में स्पेक्ट्रम और टावर नीतियों में अहम बदलाव का सुझाव दिया गया है ताकि इनका कारोबार आसानी से चल सके। उल्लिखित लक्ष्य जहां प्रश्नों से परे हैं, वहीं यह भी देखा जाना है ये जमीन पर कितने प्रभावी ढंग से उतरते हैं।
वर्ष 2012 की दूरसंचार नीति की भी सराहना की गई थी। कहा गया था कि यह दूरदर्शी दस्तावेज है परंतु तब से अब तक इसका दायरा बहुत सीमित रहा है। उदाहरण के लिए सेवा प्रदाताओं को उच्च स्पेक्ट्रम शुल्क और इस क्षेत्र में चल रही कीमतों की जंग चलते भारी वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ रहा है। सरकार अब तक स्पेक्ट्रम का किफायती आवंटन नहीं कर सकी है और उच्च आरक्षित मूल्य के कारण नीलामी को बहुत ठंडी प्रतिक्रिया मिली है। यह उद्योग कानूनी विवादों में भी उलझा हुआ है। इसने भी इस क्षेत्र की मजबूती और इसके विकास को रोक रखा है। मसौदे में निवेश के रूप में 100 अरब डॉलर की राशि जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। परंतु यह संभव नहीं लगता है क्योंकि फिलहाल तो यह क्षेत्र सालाना 10 अरब डॉलर की राशि भी नहीं जुटा पा रहा। ऐसे में नीति का क्रियान्वयन बहुत अहम रहेगा। उदाहरण के लिए नीति में प्रस्ताव रख गया है।
वर्ष 2012 की दूरसंचार नीति की भी सराहना की गई थी। कहा गया था कि यह दूरदर्शी दस्तावेज है परंतु तब से अब तक इसका दायरा बहुत सीमित रहा है। उदाहरण के लिए सेवा प्रदाताओं को उच्च स्पेक्ट्रम शुल्क और इस क्षेत्र में चल रही कीमतों की जंग चलते भारी वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ रहा है। सरकार अब तक स्पेक्ट्रम का किफायती आवंटन नहीं कर सकी है और उच्च आरक्षित मूल्य के कारण नीलामी को बहुत ठंडी प्रतिक्रिया मिली है। यह उद्योग कानूनी विवादों में भी उलझा हुआ है। इसने भी इस क्षेत्र की मजबूती और इसके विकास को रोक रखा है। मसौदे में निवेश के रूप में 100 अरब डॉलर की राशि जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। परंतु यह संभव नहीं लगता है क्योंकि फिलहाल तो यह क्षेत्र सालाना 10 अरब डॉलर की राशि भी नहीं जुटा पा रहा। ऐसे में नीति का क्रियान्वयन बहुत अहम रहेगा। उदाहरण के लिए नीति में प्रस्ताव रख गया है।
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