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दिवेश कुमार मीणा पान भण्डार काशीपुर वाले उर्फ राजस्थान वाले (कम्बल तथा फलूदा) नया पताः निकट चीमा काम्पलेक्स काशीपुर

created May 21st 2018, 19:40 by GurmeetShekho


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परन्तु मध्य युग में मुगल काल में स्थितियां नारी के विपरीत हो गयी। मुगल सिपाही उनकी इज्जत से खिलवाड़ करने लगे तो उन्हें घर की चाहरदीवारी और पर्दे में रहने के लिए विवश  कर दिया गया। उनकी शिक्षा-दीक्षा अवरुध हो गयी। वह विलास की सामग्री और सन्तान उत्पन्न करने की मशीन बनकर रह गयी। पति उसका सर्वस्व बन बैठा। जब नारी पर पुरूष प्रधान समाज ने अनेक सामाजिक बन्धन लाद दिये। फलतः उसके कोई स्वतन्त्र व्यक्तित्व नहीं रहा। परिस्थितियों ने पुनः पलट खायी। मुगलों के स्थान पर अंग्रेज गये। अंग्रेजों के शासन काल में राजाराम मोहन राय महर्षि दयानन्द  आदि सभी सुधारकों ने नारी को पुनः प्रतिष्ठित करने का सफल प्रयास किया। इस काल में नारी की शिक्षा के द्वार खोल घर की चाहरदीवारी को लांघ बाल विवाह पर कानून प्रतिबंध लगा। पुनर्विवाह एवं विधवा विवाह पर कानून बने। सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा समाज में नारी को पुनः सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा। आधुनिक युग में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारतीय नारी को संवैधानिक रूप से पुरूष के समान अधिकार प्राप्त हुए। उसने अपनी महत्ता को पहचाना।

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