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created Jun 23rd 2018, 11:35 by GuruKhare


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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को शिकायत रहती है कि आजादी के बाद सरदार वल्‍लभ भाई पटेल के योगदान को कम करके दिखाने की कोशिशें की गईं। सरदार पटेल की जयंती पर एक समारोह में मोदी ने इशारों-इशारों में एक बार फिर कांग्रेस पर हमला बोला। सरदार वल्‍लभ पटेल गुजरात  से सम्‍बन्‍ध रखते हैं और अगले माह वहां विधानसभा चुनाव होने जा रहा हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री का ताजा बयान पटेल के बहाने राजनीतिक फायदा उठाने का ही नजर रहा है। प्रधानमंत्री को लगता है कि आजादी के बाद की कांग्रेसी सरकारों ने पटेल को वह महत्‍व नहीं दिया जो उन्‍हें मिलना चाहिए था। हो सकता है प्रधानमंत्री का आकलन किसी हद तक ठीक हो। लेकिन जो गलती कांगेस ने की क्‍या वही गलती मोदी नहीं दोहरा रहे। पिछले तीन साल में मोदी के तमाम भाषणों का सार निकाला जाए तो लगता है देश के लिए पटेल ने सबकुछ किया। लेकिन देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए जवाहर लाल नेहरू और इन्दिरा गांधी ने उतना नहीं किया, जितना उन्‍हें श्रेय मिलता है। ऐसा जताकर क्‍या मोदी नेहरू, इन्दिरा के योगदान को कम आंकने की भूल  कर रहे हैं? देश को एकीकरण के सूत्र में बांधने के लिए जैसे सरदार पटेल के योगदान को कोई भुला नहीं सकता है। ठीक वैसे ही नेहरू, इन्दिरा और लाल बहादुर शास्‍त्री के प्रधानमंत्रित्‍व काल की उलब्धियों को भी देश नहीं भुला सकता। भुलाना चाहिए भी नहीं। जब मोदी देश को पार्टी से ऊपर बताते हैं। तो सबको अच्‍छा लगता है। प्रधानमंत्री समूचे देश का होता है। नेहरू-इन्दिरा-शास्‍त्री अथवा अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते जो भी किया देशहित में किया। तो फिर इन नेताओं को राजनीतिक चश्‍मे से क्‍यों देखा जाए? भाजपा नेहरू-इन्दिरा की नीतियों का और कांग्रेस वाजपेयी की नीतियों के विरोधी तो हो सकते हैं लेकिन उनके अच्‍छे कामों की तो तारीफ के विरोधी तो हो सकते हैं लेकिन उनके अच्‍छे कामों की तारीफ करनी ही चाहिए। इन्दिरा गांधी ने 1971 में पाकिस्‍तान को धूल चटाकर बांग्‍लादेश का निर्माण कराया, इसे कौन भूल सकता है? इसी तरह वाजपेयी ने 1998 में अमरीका के तमाम विरोध के बावजूद पोखरण में परमाणु परीक्षण करके देश का सिर गर्व से ऊंचा किया था। हर भारतीय इसका समर्थन करता है। प्रधानमंत्री के काम पर राजनीति शोभा नहीं देती।  

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