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हाईकोर्ट हाईकोर्ट
created Aug 12th 2018, 13:42 by RanjeetKatiyar
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जब तक हिन्दी भाषी को हृदय से स्वीकार नही करते तब तक वह राष्ट्र भाषा का स्थान नहीं पा सकती है। अक्सर यह सुनने में आता है कि हिन्दी भाषा में वैज्ञानिक साहित्य या न्यायिक साहित्य कम है या नहीं के बराबर है, यह बात बिल्कुल निराधार है। मैं इस बात को दावे के साथ कर सकता हूँ कि यदि सरकार हिन्दी को पूर्णरुपेण सभी क्षेत्रों में ईमानदारी से लागू करें तो जो साहित्य हिन्दी भाषा में नही हैं, एक तो पर्याप्त साहित्य उपलब्ध है ही अगर जो साहित्य उपल्बध नहीं है, तो वह एस साल के अन्दर अवश्य उपलब्ध हो जायेगा।
इस सम्बन्ध में अक्सर यह सुनने में आता है कि हमारे यहाँ अभी स्नाकोत्तर पढ़ाई के लिए पर्याप्त साहित्य नहीं है। बड़ी गलत बात है अभी सरकार के द्वारा ही कुछ चमहीने पहले यहाँ पर एक विशाल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था उस प्रदर्शनी में जिन पुस्तकों का प्रदर्शन किया गया था उन पुस्तकों से यह बात स्पष्ट है कि हमारे यहां पर वैज्ञानिक न्यायिक और शास्त्रीय विषयों पर भी हिन्दी में पर्याप्त पुस्तकें है।
यदि श्रीमान जी मुझे इस विषय पर प्रकाश डालने का अवसर दें तो मैं इस विषय में एक उदाहरण देना पर्याप्त समझता हूँ। पहले समय में मैट्रिक पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी था और यह दलील दी जाती थी कि हमारे यहाँ पर मैट्रिक की पढ़ाई का पर्याप्त साहित्य नहीं है, लेकिन जब आवश्यकता होती है तब चीजें उपलब्ध हो जाती हैं ज्यों ही मैट्रिक में हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं को सरकार ने माध्यम बनाया त्यों ही सारा साहित्य जो अभी तक नहीं था छः महीने मे तैयार हो गया।
इसके पूर्व भी मैं इस बात को अनेकों बार कहता रहा हूँ कि साहित्य की तैयरी की एक योजना सरकार को बनानी चाहिये और देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विद्वानों को एक-एक पुस्तक अलग-अलग विषयों पर लिखने के लिए देनी चाहिए तथा उस
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जब तक हिन्दी भाषी को हृदय से स्वीकार नही करते तब तक वह राष्ट्र भाषा का स्थान नहीं पा सकती है। अक्सर यह सुनने में आता है कि हिन्दी भाषा में वैज्ञानिक साहित्य या न्यायिक साहित्य कम है या नहीं के बराबर है, यह बात बिल्कुल निराधार है। मैं इस बात को दावे के साथ कर सकता हूँ कि यदि सरकार हिन्दी को पूर्णरुपेण सभी क्षेत्रों में ईमानदारी से लागू करें तो जो साहित्य हिन्दी भाषा में नही हैं, एक तो पर्याप्त साहित्य उपलब्ध है ही अगर जो साहित्य उपल्बध नहीं है, तो वह एस साल के अन्दर अवश्य उपलब्ध हो जायेगा।
इस सम्बन्ध में अक्सर यह सुनने में आता है कि हमारे यहाँ अभी स्नाकोत्तर पढ़ाई के लिए पर्याप्त साहित्य नहीं है। बड़ी गलत बात है अभी सरकार के द्वारा ही कुछ चमहीने पहले यहाँ पर एक विशाल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था उस प्रदर्शनी में जिन पुस्तकों का प्रदर्शन किया गया था उन पुस्तकों से यह बात स्पष्ट है कि हमारे यहां पर वैज्ञानिक न्यायिक और शास्त्रीय विषयों पर भी हिन्दी में पर्याप्त पुस्तकें है।
यदि श्रीमान जी मुझे इस विषय पर प्रकाश डालने का अवसर दें तो मैं इस विषय में एक उदाहरण देना पर्याप्त समझता हूँ। पहले समय में मैट्रिक पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी था और यह दलील दी जाती थी कि हमारे यहाँ पर मैट्रिक की पढ़ाई का पर्याप्त साहित्य नहीं है, लेकिन जब आवश्यकता होती है तब चीजें उपलब्ध हो जाती हैं ज्यों ही मैट्रिक में हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं को सरकार ने माध्यम बनाया त्यों ही सारा साहित्य जो अभी तक नहीं था छः महीने मे तैयार हो गया।
इसके पूर्व भी मैं इस बात को अनेकों बार कहता रहा हूँ कि साहित्य की तैयरी की एक योजना सरकार को बनानी चाहिये और देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विद्वानों को एक-एक पुस्तक अलग-अलग विषयों पर लिखने के लिए देनी चाहिए तथा उस
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