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SAKSHI COMPUTER Chhindwara CPCT Exam Online Practice

created Aug 13th 2018, 04:27 by SakshiThakur


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भारत के संविधान में न्‍यायधीशों पर महाभियोग का उल्‍लेख अनुच्‍छेद 124(4) में मिलता है। इसके तहत सुप्रीमकोर्ट या हाईकोर्ट के किसी न्‍यायधीश पर साबित कदाचार या अक्षमता के लिए महाभियोग का प्रस्‍ताव लाया जा सकता है। महाभियोग की प्रक्रिया विधानपालिका के न्‍यायिक अधिकारों में से है। लिहाजा महाभियोग की कार्यवाही संसद के सदनों में चलती है। जिस सदन में यह प्रस्‍ताव रखा जाता है वह इसे जांच के लिए दूसरे सदन को भेज देता है। सदन में न्‍यायाधीशों पर लगे आरोपों की जांच होती है। इसके नतीजे बहुमत से पारित कर दूसरे सदन को फैसले के लिए भेज दिए जाते हैं। इस प्रस्‍ताव पर फिर मतदान होता है और दो तिहाई मतों से मंजूरी के बाद फैसला तय किया जाता है। यह तय होता है कि अमुक न्‍यायाधीश पद पर बना रहेगा या उसे हटाया जाएगा। न्‍यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग के लिए किसी भी शिकायत पर लोकसभा के 100 सांसदों या राज्‍यसभा के 50 सांसदों की स्‍वीकृति जरूरी है। यह सांसद आरोपों को भलीभांति पढने-समझने और पूरी तरह संतुष्‍ट होने के बाद ही ऐसी सिफारिश करते हैं। ऐसे प्रस्‍ताव को सांसदों का पर्याप्‍त समर्थन मिलने के बाद ही लोकसभा अध्‍यक्ष या राज्‍यसभा के सभापति को भेजा जाता है। इस पर भरपूर विचार के बाद अध्‍यक्ष तीन सदस्‍यों की एक जांच समिति बनाते हैं। इस समिति से सुप्रीमकोर्ट के दो जज अौर एक न्‍यायिक क्षेत्र का जाना-माना व्‍यक्ति होता है। यह समिति पूरे मामले की जांच करती है और इसे अपनी सिफारिशों के साथ लोकसभा के पटल पर रखती है। न्‍यायाधीशों की शिकायत और महाभियोग का प्रस्‍ताव अन्‍य लोगों से भी किया जा सकता है। ऐसी शिकायत पर लोकसभा पर लोकसभा और राज्‍यसभा के सदस्‍य संसद के दोनों सदनों में चर्चा करते हैं। इसके बाद ही महाभियोग का प्रस्‍ताव लाने के विषय में फैसला होता है। महाभियोग संवैधानिक प्रक्रिया की शुरूआत ब्रिटेन से मानी जाती है। वहां 14वीं सदी के उत्‍तरा में महाभियोग का प्रावधान किया गया था। बाद में 1776 में और 1780 में मैसाचुसेट ने भी अपने संविधान में इसे जगह दी। ब्रिटेन में महाभियोग की प्रक्रिया भारत जैसी ही है। वहां भी न्‍यायाधीशों पर महाभियोग का प्रस्‍ताव हाउस ऑफ कॉमन्‍स से शुरू होता है और इस बारे में फैसला, हाउस ऑस लार्ड में लार्ड चांसलर की अध्‍यक्षता में किया जाता है। पिछले दो सौ वर्षो में वहां किसी पर महाभियोग नहीं चला। अमेरिकी संविधान के चौथे भाग के अनुच्‍छेद 2 में महाभियोग की प्रक्रिया का उल्‍लेख है। वहां भी महाभियोग की प्रक्रिया प्रतिनिधि सभा से शुरू होकर सीनेट में खत्‍म होती है। वहां निचले सदन में आरोपों की जांच और चर्चा होती है और महाभियोग पर सजा का फैसला दो-तिहाई बहुमत से होता है। अमेरिका ही एकमात्र ऐसा देश है जहां हर स्‍तर के न्‍यायधाीशों को पदच्‍युत करने के लिए महाभियोग का सहारा लेना पडता है।  

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