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created Oct 15th 2018, 04:54 by MayankKhare
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राजधानी दिल्ली के एक स्कूल में बच्चों को धर्म के आधार अलग-अलग बिठाने की जो हरकत सामने आई है, आज के दौर में एकबारगी उस पर विश्वास करना मुश्किल हो सकता है। पर हैरानी की बात है कि यह कदम खुद उस स्कूल के प्रभारी शिक्षक ने इस दलील के साथ उठाया था। कि इससे बच्चों के बीच शांति और अनुशासन का माहौल बनाए रखा जा सकेगा। इससे ज्यादा अफसोसनाक बात और क्या हो सकती है कि एक शिक्षक ऐसा तर्क पेश करता है। जबकि दुनिया भर में धर्म और नस्ल के आधार पर समाज में पैदा होने वाले तकलीफदेह विभाजन को खत्म करने की उम्मीद बच्चों से ही की जाती है, क्योंकि कोई भी दायरा बच्चों की मासूमियत को नहीं बांध पाता है। हालांकि इसी साल जुलाई में स्कूल का प्रभारी बनाए जाने के बाद जब इस शिक्षक ने कई भी दायरा बच्चों की मासूमियत को नहीं बांध पाता है। हालांकि इसी साल जुलाई में स्कूल का प्रभारी बनाए जाने के बाद जब इस शिक्षक ने कई कक्षाओं में हिंदू और मुसलिम बच्चों को अलग-अलग वर्गों में बैठने की व्यवस्था लागू की, तभी वहां के दूसरे कुछ शिक्षकों ने आपत्ति जताई थी। मगर सवाल यह भी है कि पिछले करीब दो-ढाई महीने से स्कूल में यह व्यवस्था चल रही थी तो किसी आधिकारी को इस बारे में पता क्यों नहीं चला।
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