eng
competition

Text Practice Mode

TEST-1 FOR MPHC AG-3 BY ACADEMY FOR STENOGRAPHY, MORENA,DIR- BHADORIYA SIR

created Nov 18th 2018, 11:27 by ThakurAnilSinghBhado


3


Rating

546 words
15 completed
00:00
प्रस्‍तुत मामले में परियादी चिरागउद्दीन ने विद्वान षष्‍ठम अपर जिला सेशन नयायाधीश, आगरा द्वारा सेशन विचारण मामला संख्‍या 459/1975 राज्‍य बनाम हाजी मुद्दान और चार अन्‍य वाले मामले में दण्‍ड संहिता, 1860  की धाराओं  को पारित किए गए दोषमुक्ति के आदेश से व्‍यथित होकर दण्‍ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 378(4) के अधीन यह अपील फाइल की है तथा इस न्‍यायालय ने तारीख 18 अगस्‍त, 1980 के आदेश द्वारा अपील को अनुमति प्रदान की थी। अपील खारिज करते हुए, अभियुक्‍तों ने अपनी आपस में रिश्‍तेदारी को स्‍वीकार किया। उन्‍होंने हत्‍या में अपने शामिल होने का खंडन किया था। उन्‍होंने यह कथन किया कि शत्रुता के कारण उन्‍हें मामले में मिथ्‍या से फंसाया गया है। चिरागउद्दीन का उन्‍हें मिथ्‍या से आलिप्‍त करने का हेतुक था। चिरागउद्दी की एक लड़की के साथ मंगनी हुई थी। और उसकी मंगने टूट गई थी। बाद में उसे लड़की का विवाह हाजी मुद्दन के भतीजे से हो गया था। अपीलार्थी की ओर से यह दलील दी गई थी। बाद में विचारण न्‍यायालय संदेह का लाभ देने में सही नहीं था विशेष रूप से जब इसने यह पाया कि हत्‍या कारित करने के लिए अकेला हेतुक, अभियुक्‍त हाजी मुद्दन का था। हाजी मुद्दन, अभियुक्‍त का एक धनवान और प्रभावी व्‍यक्ति है। उसने मृतक के पुत्र शमीम और साक्षियों को विश्‍वास में लेने के पश्‍चात् सी.बी.सी.आई.डी द्वारा अन्‍वेषण कराने की व्‍यवस्‍था की थी। तारीख 27 मार्च, 1981  को इस मामले को उच्‍च न्‍यायालय के अधीन  प्रस्‍तुत किया गया था। और इसमें प्रत्‍यर्थियों की ओर से यह दलील दी गई थी कि विचारण न्‍यायालय द्वारा उल्‍लेखित किए गए निष्‍कर्ष पूर्ण रूप से तर्कपूर्ण और साक्ष्‍य के सही परिशीलन और मूल्‍यांकन पर आधारित हैं और उनमें इस न्‍यायालय द्वारा कोई हस्‍तक्षेप किया जाना अपेक्षित नहीं है। यह दलील दी गई है कि जब संभव रूप से दो मत निकाले जाने की संभावना हो तब विचारण न्‍यायालय द्वारा व्‍यक्‍त किया गया मत त्‍यक्‍त नहीं किया जा सकता जब तक कि यह सुनिश्चित पाया जाए। तारीख 24 अप्रैल , 1985 को यह मामले में एक नया मोड़ आया जब न्‍यायालय ने अभिलेख पर के सम्‍पूर्ण साक्ष्‍य का परिशीलन किया है और विचारण न्‍यायालय के निर्णय का भी परिशीलन किया है। इस मामले में घटना की तारीख 18 अगस्‍त, 1980 समय और स्‍थान के संबंध में विवाद नहीं किया गया है। वहां पर पर्याप्‍त रोशनी थी और घटना उक्‍त रोशनी में देखी जा सकती थी इस संबंध में भी विवाद नहीं है। यह भी देखा जाना है कि क्‍या अभियोजन साक्ष्‍य विश्‍वसनीय है और आरोप साबित किए गए हैं और अभियुक्‍तों के विरुद्ध युक्तियुक्‍त संदेह के परे साबित किए गए हैं। इस मामले में साक्षियों इंतजार हुसैन, रफीक, खलीफा चुन्‍ना और हबीब ने सुपुर्दगी मजिस्‍ट्रेट के न्‍यायालय में अपने शपथपत्र फाइल करने के द्वारा परिवादी के पक्षकथन का समर्थन नहीं किया था। उन्‍होंने घटना देखे जाने से पूर्ण रूप से इनकार किया है। इन साक्षियों की न्‍यायालय में परीक्षा नहीं की गई थी। उन्‍होंने कोई घटना देखे जाने से क्‍यों इनकार किया इस बात साक्षियों ने विरोध किया और न्‍यायालय को सबूत पेश किये कि वे उस वक्‍त वहीं पर मौजूद थे। इस मामले में अभियोजन साक्षी संख्‍या 2 विपिन चन्‍द्र, अभियोजन साक्षी संख्‍या 3 अख्‍तर हुसैन, अभियोजन साक्षी संख्‍या 4 रहीम बख्‍श और अभियोजन साक्षी संख्‍या 10 रशीउद्दीन जिनकी विचारण न्‍यायालय में परीक्षा की गई थी।  

saving score / loading statistics ...