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सीपीसीटी टेस्‍ट 14 जनवरी 2017 शिफ्ट - 1 (सौरभ कुमार इन्‍दुरख्‍या)

created Dec 6th 2018, 17:27 by sourabh indurkhya


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    सबसे पहले सरकार को अपना ध्‍यान गरीबी दूर करने पर लगाना च‍ाहिए। देश में 80 करोड से ज्‍यादा गरीब हैं, लेकिन सरकार ने गरीबी की परिभाषा ऐसी कर रखी है कि यह संख्‍या एक तिहाई रह जाती है। क्‍या 28 रुपए रोज शहरों में कमाने वाले ही गरीब हैं। जो इससे तनिक भी ज्‍यादा कमाता हैं, क्‍या 28 और 30 रुपए में किसी व्‍यक्ति के रोटी कपडा मकान, शिक्षा और मनोरंजन की व्‍यवस्‍था हो सकती है। गरीबी की रेखा कम से कम 100 रुपए रोज पर खीची जानी चहिए। दूसरा, सांसद से लेकर पंच तक जितने भी चुुुुने हुए प्रतिनिधि हैं वे अपने बच्‍चों को सरकारी स्‍कूलों मेेंं ही शिक्षा दिलवाये। यह नियम सरकारी अफसरों और कर्मचारियों तथा जजों पर भी लागू हो। इसी आशय का फैसला कुछ दिनों पहले उच्‍च न्‍यायालय ने कुुुछ दिनों पहले दिया है। गैर-सरकारी शिक्षा संस्‍थाओं पर सरकार का नियंत्रण कुछ इस प्रकार हो कि उनकी स्‍वायत्‍तता तो बनी रहें, लेकिन लूट-पाट के केंद्र बनें। तीसरा, यही नियम चिकित्‍सा के मामले में लागू हो। जन-प्रतिनिधि, सरकारी कर्मचारी और उनके परिजन सरकारी अस्‍पतालों में ही इलाज करवाएं। चौथा, देश के सारे काम-काज से अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्‍म की जाए। अंग्रेजी के माध्‍यम से किसी भी विषय की पढाई नहीं की जाए। संसद में, सरकार में, अदालतों में अंग्रेजी के प्रयोग पर अर्थदंड हो। पांचवा, सरकारी नौकरियों में दिया जा रहा जातीय आरक्षण खत्‍म किया जाए। नौकरियां सिर्फ योग्‍यता के आधार पर दी जाए। तकि भ्रष्‍टाचार पर कुछ नियंत्रण हो सके। सातवां, आयकर के स्‍थान पर व्‍यय कर लगाएं। आमदनी नहींं,खर्च पर रोक लगे। ऐसा करके सरकार उस भारतीय जीवन व्‍यवस्‍था को प्रोत्‍सहित कर सकती है, जो 'त्‍याग के साथ भोग' का आदर्श उपस्थित करती है। यह अमेरिका उपभोक्‍तावाद की नकल से मुक्‍त करेगी। हमारी सरकार के पास मौलिक विचारों का अभाव है।  हमारे नेता नौकरशाहों की नौकरी करते है। वे विदेशी विचारों को जस के तस निगल लेते है। उससे बचने की जरूरत है। आठवां, केंद्र सरकार को चाहिए कि वह यूरोपीय  संघ की तरह दक्षिण और मध्‍य के सभी देशों का एक महासंघ स्‍थापति करे।                      

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