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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT & MP High Court

created Dec 10th 2018, 10:18 by


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राजस्‍थान पुलिस में अपने कार्यकाल के दौरान मैंने यह जाना कि जनता की सुरक्षा महज अपराधियों को पकड़ने से नहीं, बल्कि समाज को सशक्‍त करने से होती है। मेरा मानना है कि समाज का यह सशक्‍तीकरण हमारे बच्‍चों से शुरू होना चाहिए। एक सांसद होने के नाते अन्‍य कार्यों के अलावा मैंने बच्‍चों की जिंदगियों को बेहतर बनाने पर भी ध्‍यान दिया है। सबसे महत्‍वपूर्ण है कि बच्‍चों को पर्याप्‍त पोषण और स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएँ मिलें, क्‍योंकि कुपोषित या बीमार बच्‍चा स्‍कूल  नहीं जा पाएगा, कक्षा में पढ़ाई पर ध्‍यान नहीं दे पाएगा, स्‍कूल छोड़ देगा और संभव है कि बीमारी से बच्‍चा मर जाएगा।  
    अब समय गया है कि हम इस विषय पर चर्चा करें कि इन बुनियादी जरूरतों को कैसेट  पूरा किया जाए। समझना होगा कि आपके नन्‍हें बच्‍चों की सेहत पर सबसे बड़ा खतरा क्‍या है? संक्रामक रोग जैसे निमोनिया और डायरिया भले ही जानलेवा लगते हों, लेकिन दुनिया भर में हर साल लगभग 15 लाख बच्‍चे इन्‍हीं बीमारियों के चलते अपने जीवन के पांच साल भी पूरे नहीं कर पाते हैं। दुनिया में सर्वाधिक, भारत में बच्‍चे इन इन बीमारियों से मर जाते हैं। सकारात्‍मक पहलू यह है कि हमारे बच्‍चों की सेहत की रक्षा के लिए नीतियां और हस्‍तक्षेप मौजूद हैं। इनमें प्रमुख हैं टीकाकरण कार्यक्रम जिनके द्वारा बच्‍चों को निमोनिया और डायरिया जैसे संक्रामक रोगों से बचाया जा सकता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन भी 24 से 30 अप्रैल तक विश्‍व टीकाकरण सप्‍ताह मना रहा है। टीकाकरण उन सर्वश्रेष्‍ठ विधियों में से एक हैं जिनसे बालपन की बीमारियों का मुकाबला करते हुए समाज सेहत विकास पर दीर्घकालीन प्रभाव कायम किया जा सकता है। बीते कुछ वर्षों में सरकार ने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में कई नए टीके शामिल किए हैं, इनमें वे भी हैं जो निमोनिया, डायरिया, खसरा रूबेला से रक्षा करते हैं। साल के अंत तक कम से कम 90 प्रतिशत बच्‍चों के टीकाकरण का लक्ष्‍य रखा गया है। अभी भी लंबा रास्‍ता तय करना है ताकि हर बच्‍चे का टीकाकरण कर उसे सुरक्षित किया जा सके। नए आंकड़ों के मुताबिक, राजस्‍थान में लगभग आधे बच्‍चों को ही जरूरी टीके लग पाते हैं।  

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