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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT & MP High Court-Speed Test☺
created Dec 12th 2018, 09:35 by AnujGupta1610
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उर्जित पटेल ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया है। देश में उदारीकरण के दौर के बाद यह ऐसा पहला इस्तीफा है इसने देश में संस्थागत स्वायत्तता को संकट में डाल दिया है फिलहाल यह आवश्यक है कि सबको चौंका देने वाली इस घटना के बाद सरकार, केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर भरोसा बहाल करे। एक स्वतंत्र रिजर्व बैंक देश की संस्थागत शक्ति का अहम स्तंभ है और वह देश को वैश्विक पूंजी के लिए भी आकर्षक बनाता है। अतीत की उपलब्धियों के चलते एक आम स्वीकार्यता का भाव उत्पन्न हुआ था कि आरबीआई कमजोर और स्थिर मुद्रास्फीति दर के लिए प्रतिबद्घ है। एक स्वतंत्र केंद्रीय बैंक की दृष्टि से देखा जाए तो यही उचित भी है। ऐसे में आरबीआई के कामकाज के साथ हालिया राजनीतिक हस्तक्षेप चिंतित करने वाली घटना है। आरबीआई के बोर्ड में शामिल स्वतंत्र निदेशक इसका उदाहरण हैं। इस दुर्भाग्यपूर्ण और अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद केंद्रीय बैंक के राजनीतिकरण की आशंकाएं और प्रबल हो रही हैं। निश्चित तौर पर पटेल ने केंद्र सरकार के साथ खुला संवाद न रखकर अपने ही खिलाफ काम किया। चाहे जो भी हो लेकिन गत माह आरबीआई बोर्ड की लंबी बैठक के बाद यह आशावादी उम्मीद पैदा हुई थी कि केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच टकराव फिलहाल टल गया है। परंतु अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ऐसी सारी उम्मीदें निराधार थीं।
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