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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT & MP High Court
created Jan 18th 2019, 11:13 by akash khare
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जब विश्वास की परीक्षा होती है तो उसमें ऐसी चीजों का सामना करना पड़ता है जिसके बारे में हमने सोचा भी नहीं होता। आपमें से कई लोग दूसरों को मुसीबत में अक्सर दिलासा देते हैं लेकिन क्या होता है जब वही स्थिति अपने ऊपर पड़ती है। राजेश अपने गांव में एक समृद्ध किसान था। गांव भर में उसकी फसल की सबसे अच्छी होती थी। भगवान शिव के वो परमभक्त थे। किसी को काई तकलीफ होती तो हर समय बस एक ही रट लगाये रहते थे। भगवान शिव र विश्वास रखो सब ठीक होगा। राजेश की ये बात सुन-सुनकर एक दिन शायद भगवान शंकर ने भी सोचा कि क्यों न इसके भी विश्वास की परीक्षा ले ही जाए। इसे मुझे पर सच्चा विश्वास भी है या बस अपने मतलब के लिए मेरा नाम जपता रहता है और आगे बढ़ी ये कहानी। हर बार की तरह इस बार भी राजेश की फसल बहुत अच्छी हुयी और अनाज बेचने के बाद जो पैसे मिले थे उन्हें आज बैंक में जमा करवाने के लिए रहा था। राजेश बाइक से बैक चल पड़ा बैंक की तरफ पहुंचते ही जैसे उसने अपना बैग पकड़ना चाहा वैसे ही उसके पैरों तले की जमीन खिसक गयी। वो यकीन नहीं कर पा रहा था कि रुपयों से भरा बैग उसके पास था ही नहीं। वह तीन-चार बार उस रास्ते पर गया जहां से वो आया था। लेकिन उसे उसका बैग नहीं मिला। रास्ते में किसी से नहीं पूछा उसने उस बैग के बारे में। अब वो पूरी तरह टूट चुका। कुछ समझ न आते देख वो घर वापस चल पड़ा। घर पहुंचते ही वो बरामदे में पड़ी चारपाई पर सिर पकड़ कर बैठ गया। तभी हिमानी उसके पास आई और उसके चेहरे के उड़े हुए भाव देख कर बोली, सब ठीक तो है ना, कोई जवाब न मिलने पर हिमानी के मन में असमंजस और सवालों का एक तूफान उठने लगा। सब ठीक तो है ना, पैसे जमा हो गए बैंक में, राजेश कुछ न बोला सीधा उठकर कमरे में चला गया हिमानी अब डर भी गयी थी। राजेश कमरे चला गया और कमरे में सामने की दीवार पर लगे हुए भगवान शिव के चित्र के आगे खड़े होकर राजेश ऐसे बोलने लगा। जैसे मानो भगवान शिव् साक्षात उसके सामने खड़े हों। क्या मिले तुम्हें मेरी मेहनत की कमाई मुझसे छीन कर।
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