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created Feb 13th 2019, 07:35 by VivekSen1328209
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किसी शहर में एक सेठ रहता था। उसकी बड़ी फैक्ट्री थी, जिसमें बहुत से लोग काम करते थे। उस सेठ का एक विश्वसनीय मैनेजर था, जो वर्षों से उसके यहां काम कर रहा था। सेठ जी उस पर अटूट विश्वास करते थे और सेठ की गैर-हाजिरी में सारा काम भी वही देखता था। उस मैनेजर में एक बड़ी खासियत यह थी कि वह कभी भी गैर-हाजिर नहीं होता और अपने काम को बहुत अच्छे ढंग से करता।
एक दिन वह आचान गैर-हाजिर हो गया। सेठ जी ने सोचा कि मैंने बहुत समय से उसका वेतन नहीं बढ़ाया, इसलिए शायद वह कहीं और दूसरा काम ढूंढने के लिए गया होगा। अगले दिन जब मैनेजर आया, तो सेठ ने उसके वेतन में दस प्रतिशत का इजाफा कर दिया। जब मैनेजर को बढ़ी हुई सैलरी मिली, तो उसने कुछ भी नहीं कहा, चुपचाप पैसे लेकर चला गया औ अपने काम में लग गया। फिर सब कुछ ठीक चलने लगा। कुछ महीनों बाद मैनेजर फिर से गैर-हाजिर हो गया। सेठ को इस बात पर बहुत गुस्सा आया कि मैंने मैनेजर का वेतन भी बढ़ा दिया और उसने धन्यवाद भी नहीं किया, अब मैं उसकी बढ़ी हुई सैलरी वापस काट लूंगा। अगले दिन जब मैनेजर जॉव पर आया, तो उसे दस प्रतिशत कम सैलरी वापस मिली। यह देख कर भी मैनेजर ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वापस अपने काम में लग गया। यह देख सेठ को बहुत आर्श्चय हुआ। उसने मैनेजर को बुलाया और बोला, क्या बात है, तुम किसी बात पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं देते। जब तुम्हारी सैलरी बढ़ी, तब भी तुमने कुछ नहीं कहा और अब जब तुम्हारी वतेनवृद्धि वापस ली जा रही है, तब भी तुम चुप हो, ऐसा क्यों ?
मैनेजर ने मुस्कराते हुए कहा- सेठ जी, दरअसल, पहली बार मैं उस दिन गैर-हाजिर हुआ था, जिस दिन मुझे बेटी हुई थी, जब आपने मुझे वेतन में बढ़ोत्तरी दी, तो मैंने सोचा कि यह बढ़ोत्तरी मेरी बेटी के लिए ही है, दूसरी बार मैं गैर-हाजिर तब हुआ, जब मेरी माता का देहांत हो गया, उसके बाद आपने मेरी बढ़ोत्तरी वापस ले ली, तो मुझे लगया कि मेरी मां अब इस दुनिया में नहीं है, इसी कारण मुझे घटी हुई सैलरी मिली। मैनेजर की सकारात्मक सोच देख सेठ जी उठे और उसे गले से लगा लिया और कहा, जिस कंपनी में तुम्हारे जैसे सकारात्मक सोच के लोग हों, जो हर परिस्थिति में कुछ अच्छा देखते हैं, वह कंपनी कभी भी किसी से पीछे नहीं रह सकती, यह कहते हुए सेठ जी ने और ज्यादा बढ़ी हुई सैलरी का चेक मैनेजर की ओर बढ़ा दिया।
एक दिन वह आचान गैर-हाजिर हो गया। सेठ जी ने सोचा कि मैंने बहुत समय से उसका वेतन नहीं बढ़ाया, इसलिए शायद वह कहीं और दूसरा काम ढूंढने के लिए गया होगा। अगले दिन जब मैनेजर आया, तो सेठ ने उसके वेतन में दस प्रतिशत का इजाफा कर दिया। जब मैनेजर को बढ़ी हुई सैलरी मिली, तो उसने कुछ भी नहीं कहा, चुपचाप पैसे लेकर चला गया औ अपने काम में लग गया। फिर सब कुछ ठीक चलने लगा। कुछ महीनों बाद मैनेजर फिर से गैर-हाजिर हो गया। सेठ को इस बात पर बहुत गुस्सा आया कि मैंने मैनेजर का वेतन भी बढ़ा दिया और उसने धन्यवाद भी नहीं किया, अब मैं उसकी बढ़ी हुई सैलरी वापस काट लूंगा। अगले दिन जब मैनेजर जॉव पर आया, तो उसे दस प्रतिशत कम सैलरी वापस मिली। यह देख कर भी मैनेजर ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वापस अपने काम में लग गया। यह देख सेठ को बहुत आर्श्चय हुआ। उसने मैनेजर को बुलाया और बोला, क्या बात है, तुम किसी बात पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं देते। जब तुम्हारी सैलरी बढ़ी, तब भी तुमने कुछ नहीं कहा और अब जब तुम्हारी वतेनवृद्धि वापस ली जा रही है, तब भी तुम चुप हो, ऐसा क्यों ?
मैनेजर ने मुस्कराते हुए कहा- सेठ जी, दरअसल, पहली बार मैं उस दिन गैर-हाजिर हुआ था, जिस दिन मुझे बेटी हुई थी, जब आपने मुझे वेतन में बढ़ोत्तरी दी, तो मैंने सोचा कि यह बढ़ोत्तरी मेरी बेटी के लिए ही है, दूसरी बार मैं गैर-हाजिर तब हुआ, जब मेरी माता का देहांत हो गया, उसके बाद आपने मेरी बढ़ोत्तरी वापस ले ली, तो मुझे लगया कि मेरी मां अब इस दुनिया में नहीं है, इसी कारण मुझे घटी हुई सैलरी मिली। मैनेजर की सकारात्मक सोच देख सेठ जी उठे और उसे गले से लगा लिया और कहा, जिस कंपनी में तुम्हारे जैसे सकारात्मक सोच के लोग हों, जो हर परिस्थिति में कुछ अच्छा देखते हैं, वह कंपनी कभी भी किसी से पीछे नहीं रह सकती, यह कहते हुए सेठ जी ने और ज्यादा बढ़ी हुई सैलरी का चेक मैनेजर की ओर बढ़ा दिया।
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