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9792799085 यूपी पुलिस

created Feb 13th 2019, 09:56 by AbhishekYadav1757783


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एक राजा के सिपाहियों ने चार चोरों को पकड़  लिया। उन्हें मृत्यु-दण्ड दिया। जल्लाद ने तीन को तो फाँसी दे दी। जब वे चौथे को फाँसी देने के लिए तैयार हुए तो उसने जल्लाद से कहा, भाइयों, मैं फाँसी पर चढ़ने से नहीं डरता, लेकिन फाँसी पर चढ़ने से पहले एक बार मैं राजा से मिलना चाहता हूँ। मेरे पास सोने की खेती करने की एक अदभुत विद्या है। मेरी इच्छा है कि मरने से पहले मैं वह विद्या राजा को सौप जाऊँ। चौथे चोर को राजा के पास लाया गया। चोर ने राजा को सोने की खेती करने की विद्या की बात बताई और सरसों के दाने के बराबर सोने के दाने बनवाने की प्रार्थना की बातद बताई और सरसों के दाने के बराबर सोने के दाने बनवाने की प्रार्थना की। कुछ देर के बाद सोने के दाने बनकर गए। तब चोर ने कहा, महाराज। इन्हें बोने के लिए अब किसी ऐसे व्यक्ति को मेरे साथ भेजा जाए जिसने कभी चोरी की हो। राजा ने मंत्रियों की तरफ दृष्टि दौड़ाई। एक-एक करके सबी मंत्रियों ने अपने सिर झुका लिए। यह देखकर चोर ने कहा, महाराज! आप स्वयं ही उस दाने को बोने की कृपा करें। राजा ने सोचा कि बचपन में मैंने भी चोरी की थी। अत: मैं भी इस काम को नहीं कर सकता। तब चोर बोला, महाराज! जब यहाँ पर सभी चोर हैं, तो मुझे ही क्यों फाँसी पर चढ़ाया जा रहा है? राम और श्याम मित्र थे। एक बार वे दोनों मिलकर किसी काम की खोज में घर से निकल पड़े। रास्ते में उन्हें एक जंगल को पार करना पड़ा। जब वे जंगल के बीच में थे तब उन्होंने एक रीछ को अपनी ओर आते देखा। रीछ को पास आते देख राम घबरा कर जल्दी से एक वृक्ष पर चढ़ या। श्याम को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। रीछ इतना नजदीक चुका था कि अब वह भाग भी नहीं सकता था। उसने मन में कुछ सोचा फिर वहीं पर साँस रोककर लेट गया। रीछ वहाँ पहुँचा।

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