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हिन्‍दी टाईपिंग मैटर, 9669016696

created Feb 15th 2019, 07:05 by


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सभापति महोदय, आग लगने के बाद कुआं खोदने की जो प्रथा है वह बंद होनी चाहिए। मैं समझता हूँ कि पहले जो राजा थे वे सोचते थे कि दूसरे लोग प्रशिक्षण नहीं ले सकते हैं। लेकिन सवाल यह नहीं है सवाल है देश में नया अनुशासन पैदा करने का तथा नई सेना खड़ी करके हमें प्रशिक्षण देना चाहिए। आजकल लोगों में एक हीनता की भावना गई है। मैं समझता हूँ कि यह प्रशिक्षण इसलिए जरूरी है कि लोगों को एक नया बल, एक नया जोश और एक नया अनुशासन पैदा हो। आज भी हम सुनते हैं कि गांवों में हरिजनों पर अत्‍याचार होते हैं। हरिजनों पर जो हमले वहां होते हैं उनका मुकाबला वह लोग नहीं कर सकते क्‍योंकि उनको राइफल चलाने का ज्ञान नहीं है। आज शांतिपूर्ण हरिजनों पर अत्‍याचार होते हैं। मैं तो यहां तक कहता हूँ कि पुरूषों को ही नहीं महिलाओं को भी यह प्रशिक्षण मिलना चाहिए। आज हम 20 करोड़ रूपये अपनी  रक्षा पर खर्च करते हैं लेकिन हमने कभी इस बात को नहीं सोचा। पहले जो इस देश के बड़े-बड़े लोग थे उन्‍होंने अपना राइफल ले ली। उन्‍होंने उसको चलाने का प्रशिक्षण ले लिया  यह समझकर कि यह काम किसी खास जाति का है। मेरा विचार यह है कि आज देश के 56 करोड़ लोग अपने अन्‍दर एक नया आत्‍मविश्‍वास और नई शक्ति पैदा करें। इसके लिए यह राइफल प्रशिक्षण सबके लिए अनिवार्य होना चाहिए। जब यह अनिवार्य होगा तभी लोगों में आत्‍मविश्‍वास पैदा होगा और एक नई चेतरा पैदा होगी इससे लोगों में आत्‍महीनता की भावना मिट जाएगी और वह समझेंगे कि देश की रक्षा करने की ताकत हम में भी है। आज जो हरिजन आदि लोग हैं उनमें एक बात घर कर गई है कि राइफल और बंदूक उनके बस की बात नहीं है। लेकिन यह आत्‍मरक्षा का सवाल है यह देश की रक्षा का  सवाल है। कमी में बच्‍चा पनपता है, कठिनाईयों में इन्‍सान पैदा होता है। जब आप जीवन को नई स्थिति में बदलेंगे तब मस्तिष्‍क बदलेगा इसलिए मैं कहता हूँ कि देश के लोगों को यह प्रशिक्षण देना होगा।  

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