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Sarode Online Typing Center Harda For CPCT
created Feb 18th 2019, 04:01 by Sarode online harda
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सदियों की दासता के बाद, भारत ने कुछ समय पूर्व गुलामी की जंजीरों को तोड़ फैंका है। राजनैतिक कायाकल्प के साथ-साथ भारतीयों का मानसिक बदलाब होना भी अति आवश्यक है। जाति, वर्ग तथा राज्य के भेदभाव के बिना दिल व दिमाग की एकता स्वतंत्रता की जड़ों को मजबूत करती है। दूसरे शब्दों में, लोगों में भावात्मक एकीकरण होना भी आवश्यक होता है। राष्ट्रीय एकता हेतु, भारतीयों को बिना किसी धार्मिक पक्षपात के कार्य करना होगा। भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता प्रान्तीयता तथा निजी लालच व स्वार्थ भारतीय समाज की महत्वता को खा रहा है अथवा नष्ट कर रहा है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग राष्ट्रीय रूचियों की अपेक्षा अपनी स्वयं की इच्छााओं व जरूरतों पर अधिक ध्यान देते है। वे राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों जैसे तस्करी, कर बचाव आदि में लिप्त रहते हैं और तेजी से अपना धन बढ़ाते है। वे देश के लिये खाई-खोदते हैं। प्रत्येक दिन हम कालाबाजारी जैसी अनेक बुराइयों के बारे में सुनते हैं जो देश के विकास व सुन्दरता के लिये घातक हैं। कुछ लोग राष्ट्रीय एकता को मजबूत करते हैं तो कुछ राष्ट्र विरोधी तत्व इसको कमजाेर करने मे लगे रहते हैं। एक देश हमेशा अपने आन्तरिक व बाहरी खतरों का सामना कर सकता है लेकिन देश के बिखराव से नहीं जूझ सकता है। अगर भारत एकीकरण चाहता है तो उसे समाजवादी होना होगा। गरीब व अमीर के बीच की भिन्नता एवं असमानता घृणा व अव्यवस्था को जन्म देती है। धनियों को घमण्डी नहीं होना चाहिये तथा गरीबों को भी हमेशा प्रगति के प्रयास करने चाहिेये। राष्ट्रीय एकता देश की आत्मा होती है । इसके बिना कोई देश तरक्की नहीं कर सकता और न ही स्वतंत्र रह सकता है। सभी लोगों को मिलकर तन-मन से देश की एकता को बनाये रखना चाहिये।
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