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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created May 8th 2019, 12:05 by akash khare


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आधुनिक लोकतंत्र का वैचारिक आधार जीन जैकिस रूसो नामक विचारक ने सत्रहवीं सदी में दिया था। उन्‍होंने कहा था कि चुनिंदा लोग जनता पर तब तक शासन करें जब तक सुनिश्चित किया जा सके कि वे जनहित में शासन करें। इस विचारधारा के अंतर्गत हमने लोकतंत्र की व्‍यवस्‍था बहाल की जिसमें जनता अपने सांसद का चयन करती है और अपेक्षा करती है कि सांसद जनहित में कार्य करेंगे। यह व्‍यवस्‍था हमने मूल रूप से इंग्‍लैण्‍ड से ली है। इंग्‍लैण्‍ड के लोकतंत्र में व्हिप की व्‍यवस्‍था है। प्रमुख पार्टियों द्वारा किसी विशेष सांसद को व्हिप प्रमुख यानी सचेतक के रूप में नियुक्‍त किया जाता है। उसकी जिम्‍मेदारी होती है कि जब संसद में विशेष चर्चा या मतदान हो तब वह अपनी पार्टी के सांसदों को एकजुट कर संसद में पहुंचाए। व्हिप शब्‍द का अर्थ शिकार से लिया गया है। शिकार के दौरान शिकारी कुत्‍तों को इधर-उधर भागने से रोकने के लिए कुछ घुड़सवार चाबुक लेकर उन्‍हें एक साथ रखते थे। इसी प्रकार सांसदों को एकजुट रखने के लिए इंग्‍लैण्‍ड में सांसद अपने विवेक से वोट करने को स्‍वतंत्र हैं। व्हिप प्रमुख की भूमिका मात्र इतनी होती है कि वह मतदान के समय सांसद की उपस्थिति सुनिश्चित करे।
    किसी प्रस्‍ताव पर सांसद किस दिशा में अपने मत का प्रयोग करेगा, इस निर्णय पर सचेतक का कोई अधिकार नहीं होता। इसलिए इग्‍लैण्‍ड का लोकतंत्र रूसो के विचार के अनुरूप है। सांसद अपने विवेक के अनुसार विषय विशेष पर मत कर सकते हैं। हाल में इंग्‍लैण्‍ड की संसद में यूरोपीय संघ छोड़ने के संबंध में प्रस्‍ताव लाया गया तो सत्‍तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के तमाम सांसदों ने सरकार के प्रस्‍ताव के विरोध में मत दिया और वह प्रस्‍ताव गिर गया। इसी प्रकार अमेरिका में बराक ओबामा द्वारा लागू की गई स्‍वास्‍थ्‍य योजना को हटाने पर मतदान के दौरान कई रिपब्लिकन सांसदों ने अपनी पार्टी के खिलाफ मतदान किया था। तात्‍पर्य यह है कि लोकतंत्र के मूल चरित्र को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि सांसद अपने विवेक के अनुसार मतदान करें। इंग्‍लैण्‍ड और अमेरिका में यह व्‍यवस्‍था लागू है।  

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