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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Jun 8th 2019, 10:35 by subodh khare


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में नए मंत्रिमण्‍डल के गठन के बाद से तमाम जानकार मोदी सरकार को सलाह देने में लगे हुए हैं। एक भारतीय नागरिक के रूप में मैं भी सरकार को यह सुझाव देना चाहता हूं कि शुरुआती सौ दिनों के लिए उसका एजेंडा क्‍या होना चाहिए। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में सुस्‍ती के संकेत स्‍पष्‍ट रूप से झलक रहे हैं। रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं। बाजार में मांग के मोर्चे पर भी फिसलन है। अमेरिका और चीन के बीच गहराते व्‍यापार युद्ध के वैश्विक अनिश्चितता, मंदी और मुश्किल हालात पैदा होंगे।
    पहले कार्यकाल में मोदी ने जीएसटी, आईबीसी, रेरा और एमपीसी जैसे कुछ एकल सुधारों पर ध्‍यान केंद्रित किया था। दूसरे कार्यकाल में मोदी को श्रम और भूमि सुधार जैसे उन सुधारों पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए। जिनसे उत्‍पादकता में वृद्धि हो और भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को दहाई अंकों वाली जीडीपी वृद्धि के दौर में दाखिल किया जा सके। शुरुआती सौ दिनों का समग्रर एजेंडा मुख्‍य रूप से अर्थव्‍यवस्‍था को मंदी की जकड़न से बाहर निकालने पर केंद्रित होना चाहिए।
    अर्थव्‍यवस्‍था के तीन भाग होते हैं। प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक। प्राथमिक अर्थव्‍यवस्‍था में कृषि, द्वितीयक में विनिर्माण और तृतीयक में सेवा क्षेत्र को शामिल किया जाता है। भारत में विनिर्माण और सेवा से जुड़े बैंकिंग, बीमा, वाणिज्‍य, उद्योग और यहां तक कि रेल और सड़क परिवहन जैसे मंत्रालयों की गिनती भी आर्थिक मंत्रालयों में की जाती है।
    जीडीपी में कृषि का योगदान भले ही 15.7 प्रतिशत हो, लेकिन देश में रोजगार के 60 प्रतिशत साधन और तकरीबन 70 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं। इसके बावजूद तो इसे आर्थिक मंत्रालय का दर्जा दिया जाता है और ही इसे खास तवज्‍जो दी जाती है। एक को छोड़कर किसी भी आर्थिक अखबार ने नवनियुक्‍त कृषि मंत्री का प्रोफाइल भी प्रकाशित नहीं किया। कृषि अर्थव्‍यवस्‍था की सुस्‍ती और ग्रामीण क्षेत्र में बदहाली स्‍पष्‍ट रूप से झलक रही है और इससे समग्र मांग बुरी तरह प्रभावित हो रही है। नई सरकार कृषि अर्थव्‍यवस्‍था की अनदेखी करने का जोखिम नहीं ले सकती। यदि उसने नजरअंदाज किया तो ग्रामीण बाजारके हालात और खराब होकर अर्थव्‍यवस्‍था की तस्‍वीर और बिगाड़ेंगे। कृषि मंत्रालय को भी आर्थिक मंत्रालय का दर्जा दिया जाना चाहिए और उसके विचारों, सुझावों तथा प्रस्‍तावों को भी अन्‍य आर्थिक मंत्रालयों जितनी तवज्‍जों मिलनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को सीसीईए में शामिल कर एकदम सही किया।

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