eng
competition

Text Practice Mode

BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open {संचालक-बुद्ध अकादमी टीकमगढ़}

created Jul 11th 2019, 07:00 by GuruKhare


0


Rating

474 words
0 completed
00:00
नदियों को जोड़े जाने की परियोजना देश की बड़ी और महत्‍वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। लेकिन इस बार केंद्र सरकार के सालाना बजट में नदी जोड़ो परियोजना के लिए सिर्फ एक लाख रुपए रखे गए हैं। यह बात चौंकाने वाली इसलिए है कि खरबों रुपए वाली इस लंबी-चौड़ी परियोजना को करीब अट्ठाईस लाख करोड़ रुपए के केंद्रीय बजट में इस बार कुछ करोड़ रुपए भी नहीं दिए गए। ऐसे में क्‍या इसका यह मतलब निकाला जाए कि अब यह परियोजना सरकार की प्राथमिकता सूची में कहीं नहीं रह गई है, इस पर कदम बढ़ाने में सरकार की कोई दिलचस्‍पी नहीं है, या उसे ऐसी परियोजना में कोई दम नजर नहीं रहा। ऐसा भी नहीं कि सरकार ने इस परियोजना को बंद करने का एलान कर दिया हो। यह भी हो सकता है कि सरकार इस महत्‍वाकांक्षी परियोजना को लेकर ऊहापोह की स्थिति में हो और आगे किस तरह बढ़ा जाए और इस काम पर कितना खर्च होगा, इसका आकलन चल रहा हो। ऐसे बहुत से कारण और अंदेशे हैं जो इस परियोजना को लेकर सरकार के रुख के बारे में सवाल खड़े करते हैं।
   भारत में नदियों को जोड़ने की दिशा में लंबे समय से विचार-विमर्श और काम चल रहा है। लेकिन यह सब मंथर गति से ही हो रहा है। इसलिए आज तक इस दिशा में कोई ठोस नतीजा सामने नहीं पाया। भारत में सबसे पहले 1972 में दो हजार छह सौ चालीस किलोमीटर लंबी नहर के माध्‍यम से गंगा और कावेरी को जोड़ने का प्रस्‍ताव तत्‍कालीन सिंचाई मंत्री केएल राव ने रखा था। नदी जोड़ो परियोजना की शुरुआत अटल सरकार में विधिवत रूप से सन 2002 में हुई थी। इसके तहत स‍बसे पहले केन-बेतवा परियोजना को हाथ में लिया गया। तब इस योजना पर एक सौ तेईस अरब डॉलर लागत आने का अनुमान था। लेकिन अभी तक भी यह परियोजना पूरी नहीं हो पाई है और ही जल्‍द इसके पूरे होने के आसार हैं। ऐसे में पिछले अठारह साल में इसकी लागत भी कई गुना बढ़ गई है। यह ऐसी समस्‍या है जो दूसरी नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं में सामने आएगी। यानी भारी-भरकम खर्च और लंबे समय के बाद भी ऐसी परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाएं तो इन पर सवाल खड़े होना स्‍वाभाविक है। अगर केन-बेतवा परियोजनाा पर तेजी से काम होता और समय से यह परियोजना पूरी हो गई होती तो उत्‍तर प्रदेश और मध्‍यप्रदेश का बुंदेलखण्‍ड क्षेत्र आज सूखे की मार नहीं झेल रहा होता।
    भारत पिछले कई सालों से गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। देश के कई हिस्‍से पूरे साल पानी की कमी का सामना करते हैं। किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्‍त जल नहीं मिल पाता। भारत में जिस तरह का मौसम चक्र है, उसमें सूखा और बाढ़ जैसी समस्‍याएं हालात को गंभीर बना देती हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए ही नदी जोड़ो परियोजना शुरू की गई थी।

saving score / loading statistics ...