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Arun typing classess(संचालक अरूण टाइपिंग क्‍लासेस)

created Jul 19th 2019, 09:27 by step11stones


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मनुष्‍य का जीवन उसके विचारों का प्रतिबिम्‍ब है, सफलता-असफलता ,उन्‍नति-अवनति,तुच्‍छता-महानता,सुख-दुख,शान्ति-अशान्‍ति आदि सभी पहलू मनुष्‍य के विचारों पर निर्भर करते हैं। किसी भी व्‍यक्ति के विचार जानकर उसके जीवन का नक्‍शा सहज ही मालूम किया जा सकता है। मनुष्‍य को कायर -वीर ,स्‍वस्‍थ-अस्‍वस्‍थ,प्रसन्‍न-अप्रसन्‍न कुछ भी बनाने में उसके विचारों का महत्‍वपूर्ण स्‍थान होता है। तात्‍पर्य यह है कि अपने विचारों के अनुरूप ही मनुष्‍य का जीवन बनात-बिगड़ता है।अच्‍छे विचार उसे उन्‍नत बनायेंगे तो हीन विचार नीचे गिरायेंगे।
स्‍वामी रामतीर्थ ने कहा -"मनुष्‍य के जैसे विचार होते हैं वैसा ही उसका जीवन बनता है।" स्‍वामी विवेकानन्‍द ने कहा था- "स्‍वर्ग और नरक कहीं अन्‍यत्र नहीं, इनका निवास हमारे विचारों में ही है।" भगवान बुद्ध ने अपने शिष्‍यों को उपदेश देते हुए कहा था-"भिक्षुओं! वर्तमान में हम जो कुछ हैं,अपने विचारों के ही कारण और भविष्‍य में जो कुछ भी बनेंगे वह भी अपने विचारों के कारण।" शेक्‍सपियर ने लिखा है-"कोई वस्‍तु अच्‍छी या बुरी नहीं है। अच्‍छाई -बुराई का आधार हमारे विचार ही हैं।" ईसा मसीह ने कहा था-" मनुष्‍य के जैसे विचार होते हैं वैसा ही वह बन जाता है।" प्रसिद्ध रोमन दार्शनिक मार्क्‍स ऑरिलियस ने कहा था - "हमारा जीवन जो कुछ भी है, हमारे अपने ही विचारों के फलस्‍वरूप है।"  
संक्षेप में जीवन की विभिन्‍न गतिविधियों का संचालन करने में हमारे विचारों का ही प्रमुख हाथ रहता है। हम जो कुछ भी करते हैं,विचारों की प्रेरणा से ही करते हैं। संसार में दिखाई देने वाली विभिन्‍नताऐं, विचित्रताऐं भी हमारे विचारों का प्रतिबम्बि ही हैं संसार मनुष्‍य के विचारों की ही छाया है। किसी के लिए संसार स्‍वर्ग है तो किसी के लिए नरक। किसी के लिए संसार अशान्‍ति,क्‍लेश,पीड़ा आदि का आगार है तो किसी के लिए सुख-सुविधा का आगार है।  

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