Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open
created Aug 14th, 04:22 by SaLmanSK
0
414 words
3 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
2 अक्टूबर का दिन कृतज्ञ राष्ट्र के लिए राष्ट्रपिता की शिक्षाओं को स्मरण करने का एक और अवसर उपलब्ध कराता है। भारतीय रानीतिक परिदृश्य में मोहन दास कर्मचंद गांधी का आगमन खुशी प्रकट करने के साथ-साथ हजारों भारतीयों को आकर्षित करने का पर्याप्त कारण उपलब्ध कराता है और इसके अलावा उनके जीवन-दर्शन के बारे में भी खुशी प्रकट करने का प्रमुख कारण उपलब्ध कराता है, जो बाद में गांधी दर्शन के नाम से पुकारा गया यह और भी आशचर्यजनक बात है कि गांधी जी के व्यक्तित्व ने उनके लाखें देशवासियों के दिल में जगह बनाई और बाद के दौर में दुनियाभर में असंख्य लोग उनकी विचारधारा की तरु आकर्षित हुए। इस बात का विशेष श्रेय गांधी जी को ही दिया जाता है कि हिंसा और मानव निर्मित घृणा से ग्रस्त दुनिया में महात्मा गांधी आज भी सार्वभौमिक सद्भावना और शांति के नायक के रूप में अडिग खडे हैं और दिलचस्प बात यह भी है कि गांधी जी अपने जीवनकाल के दौरान शांति के अगुआ बनकर उभरे और वे आज भी विवादों को हल करने के लिए अपनी अहिंसा की विचार-धारा से मानवता को आशचर्य में डालते हैं। काफी हद तक यह महज एक अनोखी घटना ही नहीं है कि राष्ट्र ब्रिटिश आधिपत्य के दौर में कंपनी शासन के विरूद्ध अहिंसात्मक प्रतिरोध के पथ पर आगे बढ़ा और उसके साथ ही गांधी जी जैसे नेता के नेतृतव में अहिंसा को एक सैद्धातिक हथियार के रूप में अपनाया यह बहुत आश्चयर्य की बात है कि उनकी विचारधारा की सफलता का जादू आज भी जारी है। क्या कोई इस तथ्य से इंकार कर सकता है कि अहिंसा और शांति का संदेश अब भी अंतर्राष्ट्रीय या दिपक्षीय विवादों को हल करने के लिए विश्व नेताओं के बीच बेहद परिचित और आकर्षक शब्द है यह कहने की जरूरत नहीं कि इस बात का मूल्यांकन करना कभी संभव नहीं हुआ कि भारत ओर दुनिया किस हद तक शांति के मसीहा महात्मा गांधी के प्रति आकर्षित है। हालांकि यह शांति अलग तरह की शांति है। खुद शांति के नायक के शब्दों में मैं शांति पुरूष हूं, लेकिन मैं शांति किसी चीज की कीमत पर नहीं चाहता मैं ऐसी शांति चाहता हूं जिसे आपकों कब्र में नहीं तलाशनी पडी यह विशुद्ध रूप से एक ऐसा तत्व है जो गांधी को शांति पुरूष के रूप में उपयुक्त दर्जा देता है। यह उल्लेखनीय है कि शांति का अग्रदूत होने के बावजूद महात्मा गांधी न सिफा किसी ऐसे व्यक्ति से अलग-थलग रहे, जो शांति के नाम पर कहीं भी या कुछ भी गलत मंजूर करेगा।
