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created Aug 19th 2019, 03:31 by MayankKhare
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विजयनगर साम्राज्य द्वारा तालिकोट का युद्ध हारने के कई कारण थे। इसको समझने के लिए पहले इतिहास का कुछ ज्ञान होना चाहिए। उत्तर भारत में इतिहास की पुस्तकों में विजयनगर साम्राज्य के बारे में संभवत: बहुत कम जानकारी है। मुगलों के बारे में तो सब जानते ही हैं, क्योंकि बाहरवीं कक्षा तक की पुस्तकों में तो बहुत सारे अध्याय उनके बारे में थे लेकिन तालिकोट के युद्ध के बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे। कृष्णदेवराय का नाम तो आपने सुनाओ ही होगा। यह भारत के महान राजा थे, या यूं कहना भी गलत नहीं होगा कि वे वह भारत के अत्युत्तम शासकों में एक थे। जब यह राजा थे, तब विजयनगर साम्राज्य पूरे विश्व भर में समृद्ध राज्य था। आप गूगल कीजिए, कई विदेशी यात्रियों ने इस साम्राज्य के बारे में और श्री कृष्णदेवराय के बारे में लिखा है। जब तक इन्होंने राज्यभार संभाला, इनका राज्य बहुत सुरक्षित और समृद्ध रहा था। इनके बाद आए एक और राजा के समय तक भी राज्य अच्छी तरह से सुरक्षित था। जब कृष्णदेवराय के दामा रामराय राज्यभार संभालने लगे तब भी एक हद तक ठीक ठाक ही था। कुछ गलत नीतियां रामराय के तालिकोट की हार का कारण हो सकती हैं। रामराय चतुर था, जब सारे दखन सुल्तानों के बीच अधिकार के लिए संघर्ष हुआ करते थे, तब रामराय एक बार एक सुल्तान को समर्थन देता था, तो दूसरी बार दूसरे को। ऐसे ही कुछ साल गुजर गये। एक बार सभी सुल्तानों ने इकट्ठे होकर आपस में बात की कि यह रामराय तो हमें मूर्ख बना रहे हैं और उपाय किया कि विजयनगर पर एक साथ धावा करेंगे। दूसरा और बहुत ही खास कारण यह भी है कि रामराय ने दो गिलानी भाईयों को अपनी सेना का सेनानायक बना करके बहुत बडी भूल कर दी। ये दोनों मुसलमान थे और वो हिंदू साम्राज्य के लिए काम करने लगे थे। ये दोनों पहले बीजापुर के सुल्तान की सेना में सेनानायक थे। रामराय ने अपने पुराने सेनापति को सेना से निकाल दिया था। युद्ध के समय यह दोनों गिलानी भाई सुल्तान से जा मिले, और रामराय को बंदी बनाकर उसका सर काट दिया गया, उसी समय से विजयनगर की राजधानी हंपी का विध्वंस होना शुरू हो गया। तीसरा कारण यह है कि विजयनगर साम्राज्य में सेना की कमी थी और कुछ सौ हाथी थे। सुल्तानों के पास हाथी नहीं थे और प्रचुर अश्वाचरो ही सेना थी। सुल्तानों की सेना में अश्वाचरों ही ज्यादा होने के कारण सेना के अधिकारी सेना को जल्दी दिशा-निर्देश जल्दी पहुंचा दिया करते थे। चौथा कारण यह है कि विजयनगर की सेना के मुख्य सेनाधिपति और सेनानायकों की आयु बहुत ज्यादा थी। खासकर रामराय एवं उसके शत्रुओं के सेनानायकों की आयु में अत्यधिक अंतर होना भी पराजय का एक कारण हो सकता है।
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