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created Aug 20th 2019, 03:25 by SakshiThakur


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एक बार की बात है निराला जी लि‍खी हुई किताब बेचने निकले। उन किताबों को बेहतरीन दाम पाकर वे बहुत खुश हुए और ठाठ से घर को चल दिए। तभी उनकी निगाह एक औरत पर गयी जो कि तपती दोपहर में एक पेड़ की छाया में बैठी भीख मांग रही थी। उसकी दशा बहुत ही खराब थी जिसे देख निराला जी तुरंत ही वहा थम गये और उस औरत के  ओर जाने लगे। निराला जी को अपने पास आता देशकर वह औश्रत अपने दोनों हाथ फैलाकर उनसे भीख मांगने लगी। निराला जी जब उस औरत के पास पहुंचे तो तुरंत बोले की आज आपको कुछ नहीं मिला। तो बूढ़ी औरत ने कहा की बेटा आज सुबह से ही कुछ नहीं मिला है। तो निराला जी ने कहा कि आपने मुझे बेटा कहा तो आप मेरी माता समान हुई और यह कैसे हो सकता है कि निराला की माता जी ऐसे राह पर बैठकर भीख मांग रही है। यह सुनकर उस लाचार औरत की आखों में पानी भर आया फिर निराला जी कुछ पैसे उस औरत के हाथ पर रखते हुए बोले कि मैं आपका बेटा और आप मेरी माता। अब बताइए कितने दिन तक आप भीख नहीं मांगोगी। ता औरत ने कहा एक दो दिन तक नहीं मांगूगी बेटा। फिर निराला जी ने उसे कुछ और पैसे दिए और पूछा कि अब कितने दिन तक नहीं मांगोगी। तो औरत ने कहा कि बीस दिन तक नहीं मांगूंगी। ऐसा करते निराला जी के सारे पैसे उस औरत के पास चले गए। वह बस हर बार पूछते रहे और पैसे उस औरत की गोद में डालते रहे यह सब एक राहगीर देख रहा था और दंग ही रह गया। वहीं दूसरी तरु इतने सारे पैसे देखकर वह औरत भावुक हो गयी और निराला जी  से कहने लगी कि वह अब कभी भी भीख नहीं मांगेगी। इतना सुनकर निराला जी अपने एक खास मित्र के घर चले गये और पहुचते ही निराला जीने अपने मित्र को रिक्‍शे का किराया भरने को कहा। जैसे ही उनका मित्र किराया देने लगा अचानक से रिक्‍शे वाले ने सबकुछ उनके मित्र को बता दिया। यह सब बाते सुनकर निराला जी के मित्र को रोना गया और रिक्‍शे वाल को उसके पैसे देकर विदा कर दिया। आसान नहीं होता है किसी अनजान की राह चलते मदद कर देना। निराला जी ने जो किया वह बेहद सराहनीय था जो लोग महान होते है उनका दिल उदार और बहुत ही कोमल होता है। उनसे किसी की भी परेशानी नहीं देखी जाती है। वे लोग दूसरों के सुख में ही अपना सुख देखते है। ऐस लोग अपने पराये में कोई अंतर नहीं रखते है। वे सबको अपना परिवार ही मानते है। हम भी अगर लोगों की छाेटी छोटी बातों में मदद कर दे तो दूसराें की खुशी का कारण बन पायेंगे और मानवता की नींव रख पायेंगे।

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