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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Aug 22nd 2019, 06:36 by DeendayalVishwakarma


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीन से कहते हैं देश में पर्यटन की विशाल संभावनाएं है। जो लोग पर्यटन के लिए विदेश जाते हैं उनको देश के ही पर्यटन स्‍थल पर भ्रमण करना चाहिए। जाहिर है, प्रधानमंत्री की मंशा पर कोई शक नहीं। यह भी सही है कि  देश के पर्यटन को बढ़ावा मिलना चाहिए लेकिन, हम खड़े कहां है, हालात पर जरा गौर तो करिए।
     आगरा का ताजमहल भारत आने वाले पर्यटकों के लिए शायद सबसे अहम आकर्षण है। हमारे देश के पर्यटकों के लिए भी। पर क्‍या कभी इस ओर ध्‍यान दिया गया कि आगरा जाने वाले ज्‍यादातर लोग ताजमहल देखने के थोड़ी देर बार ही आगरा छोड़ने के मूड में जाते हैं। ताजमहल और आगरे का किला देखने के बाद उस शहर में लाेगों को कुछ खास नहीं मिल पाता है। गंदगी और बाजार की लूट परेशान कर देती है। दिल्‍ली के कमोबेश सारे पर्यटन स्‍थल अब अपनी पहचान खोते  जा रहे हैं। लाल किला घूमने के बाद बाकी सारे पर्यटन स्‍थल लोगों को रोमांचित नहीं कर रहे बल्कि कुतुबमीनार जाने वाले ज्‍यादातर निराश होकर लौटते हैं।  
    ये ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हमारे यहां किस तरह के इंतजाम हैं। सरकारों ने पर्यटन के प्रति कैसा उपेक्षित रवैया अपना रखा है। देश का पर्यटन उद्योग आजादी के बाद से अब तक किसी भी सरकार की प्राथमिकता में नहीं रहा है। टूरिज्‍म ऑस्‍ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड या यूरोप के पर्यटन स्‍थलों की तरह हमारे देश की भव्‍यता को देश और दुनिया में प्रचारित करने के लिए सरकारों ने वैसा काम नहीं किया। नार्थ ईस्‍ट में घाटी की सेवन सिस्‍टर्स, दक्षिण की खास प्राकृतिक खूबसूरती या फिर राजस्‍थान की गौरवशाली विरासत यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं। पर राजस्‍थान की विरासत और भव्‍यता को छोड़ दें तो बाकी स्‍थलों को वह पहचान आज तक नहीं मिल पाई है।  
    इन पर बारीकी से ध्‍यान दें तो पता चलता है कि पर्यटन स्‍थलों पर काम कर रही हैं राज्‍य सरकारें। और यह देखने में आया है कि इनके प्रचार के लिए जिन तरीकों को एक सरकार ने अपनाया, उसको दूसरी सरकार के आते ही बदल दिया गया। कभी किसी खास मंत्री के नज़दीकी लोगों को यह काम दे दिया गया या फिर किसी दूसरे राज्‍य या शहर में किसी सरकार के खास संस्‍थान को प्रचार के लिए भारी भरकम राशि दे दी गई। कभी इसकी समीक्षा नहीं हुई कि वास्‍तव में इस इस पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए खजाना जितना खाली किया जा रहा है, उतनी आय हुई कि नहीं। वोट बैंक, जातिवाद और कथित विकास की राजनीति हमें इस दिशा मेें सोचने को कभी मजबूर ही नहीं करती कि पर्यटन भी देश में उद्योग का रूप ले सकता है। रोजगार पैदा कर सकता है। यही वजह है कि हर साल हमारे देश से 4 से 5 करोड़ लोग विदेश की सैर पर जाते हैं। लेकिन बाहर से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्‍या इसकी आधी है।  

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