Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open
created Sep 17th 2019, 11:37 by GuruKhare
0
471 words
13 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
प्राचीन समय में एक विचित्र पक्षी रहता था। उसका धड़ एक ही था, परन्तु सिर दो थे नाम था उसका भारूंड एक शरीर होने के बावजूद उसके सिरों में एकता नहीं थी और न ही तालमेल था। वे एक दूसरे से बैर रखते थे। हर जीव सोचने समझने का काम दिमाग से करता हैं और दिमाग होता हैं सिर में दो सिर होने के कारण भारूंड के दिमाग भी दो थे। जिनमें से एक पूरब जाने की सोचता तो दूसरा पश्चिम फल यह होता था कि टांगे एक कदम पूरब की ओर चलती तो अगला कदम पश्चिम की ओर, और भारूंड स्वयं को वहीं खड़ा पाता था। भारूंड का जीवन बस दो सिरों के बीच रस्साकसी बनकर रह गया था।
एक दिन भारूंड भोजन की तलाश में नदी तट पर धूम रहा था कि एक सिर को नीचे गिरा एक फल नजर आया। उसने चोंच मारकर उसे चखकर देखा तो जीभ चटकाने लगा वाह ऐसा स्वादिष्ट फल तो मैंने आज तक कभी नहीं खाया। भगवान ने दुनिया में क्या-क्या चीजें बनाई हैं। अच्छा जरा मैं भी चखकर देखूं। कहकर दूसरे ने अपनी चोंच उस फल की ओर बढ़ाई ही थी कि पहले सिर से झटककर दूसरे सिर को दूर फेंका और बोला अपनी गंदी चोंच इस फल से दूर ही रख। यह फल मैंने पाया हैं और इसे मैं ही खाऊंगा। अरे हम दोनों एक ही शरीर के भाग हैं खाने-पीने की चीजें तो हमें बांटकर खानी चाहिए। दूसरे सिर ने दलील दी। पहला सिर कहने लगा ठीक हम एक शरीर के भाग हैं। पेट हमारे एक ही हैं। मैं इस फल को खाऊंगा तो वह पेट में ही तो जाएगा और पेट तेरा भी हैं। दूसरा सिर बोला खाने का मतलब केवल पेट भरना ही नहीं होता भाई। जीभ का स्वाद भी तो कोई चीज हैं। तबीयत को संतुष्टि तो जीभ से ही मिलती है। खाने का असली मजा तो मुंह में ही हैं। पहला सिर तुनकर चिढाने वाले स्वर में बोला मैंने तेरी जीभ और खाने के मजे का ठेका थोड़े ही ले रखा हैं। फल खाने के बाद पेट से डकार जाएगी। वह डकार तेरे मुंह से भी निकलेगी। उसी से गुजारा चला लेना। अब ज्यादा बकवास न कर और मुझे शांति से फल खाने दे।
ऐसा कहकर पहला सिर चटखारे ले-लेकर फल खाने लगा। इस घटना के बाद दूसरे सिर ने बदला लेने की ठान ली और मौके की तलाश में रहने लगा। कुछ दिन बाद फिर भारूंड भोजन की तलाश में घूम रहा था कि दूसरे सिर की नजर एक फल पर पड़ी। उसे जिस चीज की तलाश थी, उसे वह मिल गई थी। दूसरा सिर उस फल पर चोंच मारने ही जा रहा था कि पहले सिर ने चीखकर चेतावनी दी अरे अरे इस फल को मत खाना। क्या तुझे पता नहीं कि यह विषैला फल हैं इसे खाने पर मृत्यु भी हो सकती है।
एक दिन भारूंड भोजन की तलाश में नदी तट पर धूम रहा था कि एक सिर को नीचे गिरा एक फल नजर आया। उसने चोंच मारकर उसे चखकर देखा तो जीभ चटकाने लगा वाह ऐसा स्वादिष्ट फल तो मैंने आज तक कभी नहीं खाया। भगवान ने दुनिया में क्या-क्या चीजें बनाई हैं। अच्छा जरा मैं भी चखकर देखूं। कहकर दूसरे ने अपनी चोंच उस फल की ओर बढ़ाई ही थी कि पहले सिर से झटककर दूसरे सिर को दूर फेंका और बोला अपनी गंदी चोंच इस फल से दूर ही रख। यह फल मैंने पाया हैं और इसे मैं ही खाऊंगा। अरे हम दोनों एक ही शरीर के भाग हैं खाने-पीने की चीजें तो हमें बांटकर खानी चाहिए। दूसरे सिर ने दलील दी। पहला सिर कहने लगा ठीक हम एक शरीर के भाग हैं। पेट हमारे एक ही हैं। मैं इस फल को खाऊंगा तो वह पेट में ही तो जाएगा और पेट तेरा भी हैं। दूसरा सिर बोला खाने का मतलब केवल पेट भरना ही नहीं होता भाई। जीभ का स्वाद भी तो कोई चीज हैं। तबीयत को संतुष्टि तो जीभ से ही मिलती है। खाने का असली मजा तो मुंह में ही हैं। पहला सिर तुनकर चिढाने वाले स्वर में बोला मैंने तेरी जीभ और खाने के मजे का ठेका थोड़े ही ले रखा हैं। फल खाने के बाद पेट से डकार जाएगी। वह डकार तेरे मुंह से भी निकलेगी। उसी से गुजारा चला लेना। अब ज्यादा बकवास न कर और मुझे शांति से फल खाने दे।
ऐसा कहकर पहला सिर चटखारे ले-लेकर फल खाने लगा। इस घटना के बाद दूसरे सिर ने बदला लेने की ठान ली और मौके की तलाश में रहने लगा। कुछ दिन बाद फिर भारूंड भोजन की तलाश में घूम रहा था कि दूसरे सिर की नजर एक फल पर पड़ी। उसे जिस चीज की तलाश थी, उसे वह मिल गई थी। दूसरा सिर उस फल पर चोंच मारने ही जा रहा था कि पहले सिर ने चीखकर चेतावनी दी अरे अरे इस फल को मत खाना। क्या तुझे पता नहीं कि यह विषैला फल हैं इसे खाने पर मृत्यु भी हो सकती है।
saving score / loading statistics ...