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बंसोड टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा, छिन्‍दवाड़ा मो.न.8982805777 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रांरभ संचालक सचिन बंसोड

created Oct 19th 2019, 15:17 by sachin bansod


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हिन्‍दू धर्म में भैया दूज का विशेष महत्‍व है. इस पर्व को यम द्वितीया और भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है. रक्षाबंधन के बाद भैया दूज दूसरा ऐसा त्‍योहार है जिसे भाई-बहन बेहद उत्‍साह  के साथ मनाते हैं. जहां, रक्षाबंधन में भाई अपनी बहन को सदैव उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं वहीं भाई दूज के मौके पर बहन अपने भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है. कई जगहों पर इस दिन बहनें अपने भाइयों को तेल लगाकर उन्‍हें स्‍नान भी कराती हैं. यमुना नदी में स्‍नान कराना अत्‍यंत शुभ माना जाता है. अगर यमुना में स्‍नान संभव हो तो भैया दूज के दिन भाई को अपनी बहन के घर नहाना चाहिए. अगर बहन विवाहित है तो उसे अपने भाई को आमंत्रित कर उसे घर पर बुलाकर यथा सामर्थ्‍य  भोजन कराना चाहिए. इस दिन भाइयों को चावल खिलाना अच्‍छा माना जाता है. अगर सगी बहन नहीं है तो ममेरी या चचेरी बहन के साथ भी इस त्‍योहार को मनाया जा सकता है. इस त्‍योहार  का संदेश यही है कि भाई-बहन के बीच प्‍यार हमेशा बना रहना चाहिए. चाहे दोनों अपनी-अपनी जिंदगी में कितने ही व्‍यस्‍त क्‍यों हों लेकिन एक-दूसरे के साथ कुछ पल तसल्‍ली के जरूर गुजारने चाहिए. पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पत्‍नी  का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज और यमुना का जन्‍म हुआ था. यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्‍नेह करती थी. वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्‍ट  मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो. अपने कार्य में व्‍यस्‍त  यमराज बात को टालते रहे. फिर कार्तिक शुक्‍ल का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.यमराज ने सोचा, मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना मुझे  बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है.
 
 

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