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बंसोड टायपिंग इन्स्टीट्यूट शॉप नं. 42 आनंद हॉस्टिपटल के सामने, संचालक- सचिन बंसोड मो.नं. 8982805777
created Oct 21st 2019, 11:57 by Ashu Soni
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भ्रष्टाचार एक जहर की तरह है जो देश, सम्प्रदाय, और समाज के गलत लोगों के दिमाग में फैल हुआ है। इसमें केवल छोटी सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिये सामान्य जन के संसाधनोंकी बरबादी और दुरूपयोग किया जाता है। इसका संबंध किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गैरजरूरी और गलत इस्तेमाल करना है, फिर चाहे वो सरकारी या गैर सरकारी संस्था ही क्यों ना हो। इसका प्रभाव व्यक्ति के विकास के साथ ही राष्ट्र पर भी पड़ता है। यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का एक बड़ा कारण बन गया है। साथ ही ये राजनीतिक, आर्थिक सामाजिक पतन के पीछे एक मुख्य कारण भ्रष्टाचार के एक गलत कदम से देश को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। भ्रष्टाचार में एक सबसे बड़ा योगदान राजनैतिक कारणों का भी है, कई बार राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपने लाभ के लिए भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता है। भ्रष्टाचार समाज में तेजी से फैलने वाली बीमारी है जिसने बुरे लोगों के दिमाग में अपनी जड़े जमा ली है। कोई भी जन्म से भ्रष्ट नहीं होता बल्कि अपनी गलती सोच और लालच के चलते धीरे-धीरे वो इसका आदी हो जाता है। यदि कोई परेशानी, बीमारी आदि कुछ आए तो हमें धैर्य और भरोसे के साथ उसका सामना करना चाहिये और विपरीत परिस्थितियों में भी बुरा काम नहीं करना चाहिए। किसी के एक गलत कदम से कई सारी जिन्दगियां प्रभावित होती है। हम एक अकेल अस्तित्व नहीं है इस धरती पर हमारे जैसे कई और भी है इसलिये हमें दूसरो के बारे में भी सोचना चाहिए और सकारात्मक विचार के साथ जीवन को शांति और खुशी से जीना चाहिए। आज के दिनों में, समाज में बराबरी के साथ ही आमजन के बीच में जागरूकता लाने के लिये नियम कानून के अनुसार भारत सरकार ने गरीबो के लिए कई सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई है। जबकि, सरकारी सुविधाएं गरीबों की पहुंच से दूर होती जा रही है क्योंकि अधिकारी अंदर ही अंदर गठजोड़ बना कर गरीबो को मिलने वाली सुविधाओं का बंदरबांट कर रहे है। अपनी जेबों को भरने के लियेवो गरीबो का पेट काट रहे है। समाज में भ्रष्टाचार के कई कारण है, आज के दिनों में राजनीतिज्ञ सिर्फ अपने फायदे की नीति बनाते है न कि राष्ट्रहित में। वो बस स्वयं की प्रसिद्धि चाहते है जिससे कि उनका दिन प्रतिदिन फायदा होता रहे, उन्हें जनता के हितों और जरूरतों की कोई परवाह नहीं। आज इंसानियत का नैतिक पतन हो रहा है और सामाजिक मूल्यों में गिरावट देखने को मिल रही है।
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