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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Oct 22nd 2019, 09:47 by akash khare


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रामधन नाम का एक पुराना व्‍यापारी था जो अपनी व्‍यापारी समझ के कारण दोनों हाथों से कमा रहा था। उसको कोई भी टक्‍कर नहीं दे सकता था। वो दूर-दूर से अनाज लाकर उसे शहर में बेचता था उसे बहुत सा लाभ होता था। वो अपनी इस कामयाबी से बहुत खुश था। इसलिये उसने सोचा व्‍यापार बढ़ाना चाहिये और उसने पड़ौसी राज्‍य में जाकर व्‍यापार करने की सोची।
    दूसरे राज्‍य जाने के रास्‍ते का मानचित्र देखा गया जिसमें साफ-साफ था कि रास्‍ते में एक बहुत बड़ा मरुस्‍थल हैं। खबरों के अनुसार उस स्‍थान पर कई लुटेरे भी हैं। लेकिन बूढ़ा व्‍यापारी कई सपने देख चुका था। उस पर दूसरे राज्‍य में जाकर धन कमाने की इच्‍छा प्रबल थी। उसने अपने कई किसान साथियों को लेकर प्रस्‍थान करने की ठान ली। बैलगाडियां तैयार की और उस पर अनाज लादा। इतना सारा माल था जैसे कोई राजा की शाही सवारी हो।
  बूढ़े राम धन की टोली में कई लोग थे जिसमें जवान युवक भी थे और वृद्ध अनुभवी लोग, जो बरसो से राम धन के साथ काम कर रहे थे। जवानों के अनुसार अगर इस टोली का नेत्रत्‍व कोई नव युवक करता तो अच्‍छा होता क्‍यंकि यह वृद्ध रामधन तो धीरे-धीरे जायेगा और पता नही उस मरूस्‍थल में क्‍या-क्‍या देखना पड़ेगा।  
 
तब कुछ नौ जवानों ने मिलकर अपनी अलग टोली बना ली और स्‍वयं का माल ले जाकर दुसरे राज्‍य में जाकर व्‍यापार करने की ठानी। रामधन को उसके चहेते लोगो ने इस बात की सुचना दी। तब राम धन ने कोई गंभीर प्रतिक्रिया नहीं दिखाई उसने कहा भाई सबको अपना फैसला लेने का हक़ हैं। अगर वो मेरे इस काम को छोड़ अपना शुरू करना चाहते हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं। और भी जो उनके सा‍थ जाना चाहता हो जा सकता हैं।  
 
अब दो अलग व्‍यापारियों की टोली बन चुकी थी जिसमे एक का नेत्रत्‍व वृद्ध रामधन कर रहे थे और दुसरे का नेत्रत्‍व नव युवक गणपत कर रहे थे। दोनों की टोली में वृद्ध एवं नौ जवान दोनों सवार थे।  
सफर शुरू हुआ। रामधन और गणपत अपनी अपनी टोली लेकर चल पड़े। थोड़ी दूर सब साथ-साथ ही चल रहे थे कि जवानों की टोली तेजी से आगे निकल पड़ी और रामधन और उनके साथी पीछे रह गये। रामधन की टोली के नौजवान इस धीमी गति से बिलकुल खुश नहीं थे और बार-बार रामधन को कोस रहे थे, कहते कि वो नौ जवनो की टोली तो कब की नगर की सीमा लांघ चुकी होगी और कुछ ही दिनों में मरूस्‍थल भी पार कर लेगी और हम सभी इस बूढ़े के कारण भूखे मर जायेंगे।  
 
धीरे-धीरे रामधन की टोली नगर की सीमा पार करके मरूस्‍थल के समीप पहुँच जाती हैं। तब रामधन सभी से कहते हैं यह मरूस्‍थल बहुत लंबा हैं और इसमें दूर दूर तक पानी की एक बूंद भी नहीं मिलेगी, इसलिये जितना हो सके पानी भर लो।  

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