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created Nov 18th 2019, 06:14 by SubodhKhare1340667
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बहुत बार ऐसा होता है कि हमारे मुश्किल वक्त में हम अपनी परेशानियों का कारण उस इंसान को मानने लगते हैं। एक बार की बात है एक बहुत से यात्रियों से भरी एक बस कहीं जा रही थी। अचानक मौसम बदला और धूल भरी आंधी चलने लगी। बहुत देर आंधी चलने के बाद अचानक बड़े जोरों से बारिश होने लगी। देखते-देखते बारिश तेज तूफान में बदल गयी। चारों तरफ घनघोर अंधेरा छा गया और बादलों की गड़गड़ाहट के बीच भयंकर बिजली चमकने लगी। बिजली कड़क कर नीचे की और आती तो बस में बैठे यात्रियों को ऐसा लगता कि जान अब गई। ऐसा केई बार हुआ सब की सांसे ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे।
ड्राईवर ने आखिरकार बस को एक बड़े से पेड़ से करीब पचास कदम की दूरी पर रोक दिया और यात्रियों से कहा कि इस बस में कोई एक ऐसा यात्री बैठा है जिसकी मौत आज निश्चित है। यह बिजली आज उसी के नाम की कड़क रही है। उसके साथ-साथ कहीं हमें भी अपनी जिंदगी से हाथ न धोना पड़े इसलिए सभी यात्री एक एक कर जाओं और उस पेड़ के हाथ लगाकर आओ। जो भी बदकिस्मत होगा उस पर बस से पेड़ तक आने जाने के वक्त बिजली गिर जाएगी और बस में बैठे बाकी सब लोग बच जाएंगे।
सबसे पहले जिसकी बारी थी उसको दो तीन यात्रियों ने जबरदस्ती धक्का देकर बस से नीचे उतारा। वह धीरे-धीरे पेड़ तक गया और डरने-डरते पेड़ को हाथ लगाया और भाग कर आकर बस में बैठ गया। ऐसे ही एक-एक बर सब यात्री जाते और भागकर आकर बस में बैठ चैन की सांस लेते। अंत में केवल एक आदमी बच गया। उसने सोचा तेरी मौत तो आज निश्चित है। बस में बैठे बाकी यात्रियों की नजर उसे किसी अपराधी की तरह घूर रही थी जो आज उन्हें अपने साथ ले मरने वाला था। उसे भी जबरदस्ती बस ने नीचे उतारा गया। वह भारी मन से पेड़ के पास पहुंचा और जैसे ही उसने पेड़ हो हाथ लगाया तेज आवाज से बिजली कड़की और बस पर गिर गयी। देखते ही देखते बस धूं धूं कर जल उठी और उसमें बैठे सभी यात्री मारे गये उस एक यात्री को छोड़ कर जिसे सभी लोग कुछ देर पहले तक बदकिस्मत और अपनी परेशानी की जड़ मान रहे थे। वो नहीं जानते थे कि उसकी वजह से ही सबकी जान बची हुई थी। साथियों, हम सब अपनी परेशानी और मुश्किलों की जिम्मेदारी किसी और के सर मढ़ देना चाहते हैं जबकि कई बार वही मित्र तमाम मुश्किलों से बचाये हुए होता है।
ड्राईवर ने आखिरकार बस को एक बड़े से पेड़ से करीब पचास कदम की दूरी पर रोक दिया और यात्रियों से कहा कि इस बस में कोई एक ऐसा यात्री बैठा है जिसकी मौत आज निश्चित है। यह बिजली आज उसी के नाम की कड़क रही है। उसके साथ-साथ कहीं हमें भी अपनी जिंदगी से हाथ न धोना पड़े इसलिए सभी यात्री एक एक कर जाओं और उस पेड़ के हाथ लगाकर आओ। जो भी बदकिस्मत होगा उस पर बस से पेड़ तक आने जाने के वक्त बिजली गिर जाएगी और बस में बैठे बाकी सब लोग बच जाएंगे।
सबसे पहले जिसकी बारी थी उसको दो तीन यात्रियों ने जबरदस्ती धक्का देकर बस से नीचे उतारा। वह धीरे-धीरे पेड़ तक गया और डरने-डरते पेड़ को हाथ लगाया और भाग कर आकर बस में बैठ गया। ऐसे ही एक-एक बर सब यात्री जाते और भागकर आकर बस में बैठ चैन की सांस लेते। अंत में केवल एक आदमी बच गया। उसने सोचा तेरी मौत तो आज निश्चित है। बस में बैठे बाकी यात्रियों की नजर उसे किसी अपराधी की तरह घूर रही थी जो आज उन्हें अपने साथ ले मरने वाला था। उसे भी जबरदस्ती बस ने नीचे उतारा गया। वह भारी मन से पेड़ के पास पहुंचा और जैसे ही उसने पेड़ हो हाथ लगाया तेज आवाज से बिजली कड़की और बस पर गिर गयी। देखते ही देखते बस धूं धूं कर जल उठी और उसमें बैठे सभी यात्री मारे गये उस एक यात्री को छोड़ कर जिसे सभी लोग कुछ देर पहले तक बदकिस्मत और अपनी परेशानी की जड़ मान रहे थे। वो नहीं जानते थे कि उसकी वजह से ही सबकी जान बची हुई थी। साथियों, हम सब अपनी परेशानी और मुश्किलों की जिम्मेदारी किसी और के सर मढ़ देना चाहते हैं जबकि कई बार वही मित्र तमाम मुश्किलों से बचाये हुए होता है।
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