Text Practice Mode
बंसोड टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा, छिन्दवाड़ा मो.न.8982805777 सीपीसीटी न्यू बैच प्रांरभ
created Dec 3rd 2019, 04:16 by Ashu Soni
1
292 words
0 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
संविधान के अनुच्छेद 23 एंव 24 में यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी अन्य का शोषण नहीं कर सकता न ही वह किसी व्यक्ति का क्रय-विक्रय कर सकता है। इस अनुच्छेद ने नारियों की खरीद-बिक्री को अवैध घोषित कर दिया है। सन् 1955 के हिन्दू विवाह अधिनियम ने प्रतिलोम विवाह को भी मान्यता दे दी है जिसमें निम्न वर्ग का पुरूषउच्च वर्ग की स्त्रीसे विवाह कर सकता है। इस तरह आज विवाह के सन्दर्भमें जातिका कोई महत्व नहीं रह गया है। बाल विवाह अधिनियम के अन्तर्गत 1978 में विवाह के समय लड़के उम्र 21 वर्ष तथा कुमारी विवाह एंव विधवा विवाह के भेद को भी समाप्त कर दिया गया है। 1956 के हिन्दू उत्राधिकार अधिनियम के अन्तर्गत नारियों के सम्पदा सम्बन्धी सीमित अधिकार को सम्पूर्ण अधिका रके रूप में परिवर्तित कर दिया गया हैं। इसके अन्तर्गत पिता की स्वअर्जित तथा पैतृक सम्पत्ति में लड़की को भी हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। आज महिलाओं के प्रति किए जाने वाले सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय एंव रारष्ट्रीय स्तर पर कार्यवाही जा रही है। 18 दिसम्बर 1979 को संयुक्त राष्ट्र सघं की महासभा में महिलाओं के विरूद्ध सभी प्रकार के भेदभाव की समाप्ति पर प्रस्तुत अभिसमय को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है उन्हें 33 प्रतिशत वैधानिक आरक्षण भले ही प्राप्त नहो फिर भी अपनी गति और प्रगति से अपने अनुभव एवं दायित्व से वे 33 से अधिक स्थान संसद एवं विधान सभाओं में प्राप्त कर लेंगी। भारत सहित विश्व की महिला प्रधान मंत्रीयों ने यह सिद्ध कर दिया है कि देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर उन्होंने उसे उत्कृष्ट नेतृत्व दिया है, उसकी क्षितिज को और अधिक विस्तृत किया है और प्रगति के इन्द्रधनुषी रंग बिखरे हैं।
saving score / loading statistics ...