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बंसोड टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट शॉप नं. 42 आनंद हॉस्टिपटल के सामने, संचालक- सचिन बंसोड मो.नं. 8982805777

created Dec 11th 2019, 06:38 by sachinbansod1609336


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 लाइसेंसी हथियार रखने की भी होड़ इस कदर बढ़ गई कि कई राज्‍यों में तो पुलिस के पास भी इतने हथियार नहीं, जितने लाइसेंसी हथियार जनता के पास है। लाइसेंस के आधार पर रखे जाने वाले हथियारों की संख्‍या को लेकर लाए जाने वाले संशोधन से नरेन्‍द्र मोदी सरकार एक कदम पीछे हट गई है। राजनीतिक दलों के पूर्व राजघराने से जुड़े सांसदोंने एक व्‍यक्ति- एक हथियार के सरकार के संशोधन प्रस्‍ताव का विरोध यह कहते हुए किया था कि हथियार परम्‍परा उनकी भावनाओं से जुड़े हैं। एक्‍ट 1959 में संशोधन कर अब सरकार ने एक व्‍यक्ति को दो लाइसेंसी हथियार रखनेकी अनुमति दे दी है। आर्म्‍स एक्‍ट में सजा के प्रावधान और सख्‍त किए जाने का तो स्‍वागत होना चाहिए पर सवाल यह है कि अब तक एक व्‍यक्ति के तीन लाइसेंसी हथियार रखने की व्‍यवस्‍था में और दो हथियार रखने की मंजूरी में क्‍या बड़ा परिवर्तन जाएगा? आमतौर पर हथियारों के लाइसेंस आत्‍मरक्षा के लिए जारी किए जाते हैं किंतु पिछले सालों में देखने में आया है कि हथियार रखता प्रतिष्ठिा का प्रतीक बनता जा रहा है, वहीं घरेलू समारोहों में हवाई फायर कर खुशी जाहिर करने की दुष्‍प्रवृत्ति भी यहां तक बढ़ गई है कि हादसों में निर्दोषों को जान से हाथ धोना पड़ता है। हथियार की होड़ इस कदर होती जा रही है कि कई राज्‍यों में तो पुलिस के पास भी इतने हथियार नहीं हैं जितने लाइसेंसी हथियार वहां जनता के पास है। एक व्‍यक्ति एक हथियार का नियम लागू हो पाता तो शायद ऐसे हालात से निपटा जा सकता था। जो लोग परंपरा और विरासत का जिक्र कर हथियारों की संख्‍या सीमित करने का विरोध कर रहे हैं उनसे भी यह सवाल जरूर होना चाहिए कि क्‍या एक व्‍यक्ति, एक साथ हथियारों को काम में ले सकेगा? और यह भी कि तीन की जगह दो हथियार रखने से क्‍या हर्ष फायरिंग की घटनाएं थमेगी ? आर्म्‍स एक्‍ट में संशोधन प्रस्‍ताव पेश करते समय केन्‍द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जानकारी दी थी कि बड़ी संख्‍या में लाइसेंस वाले हथियारों से हत्‍याएं की गई है। खुशी के मौके पर फायरिंग में भी बड़ी संख्‍या में लोगों की जानेगई हैं। खुद  अमित शाह ने स्‍वीकार किया कि आज से पहले भी इस बात पर बहस होती रही है कि आजादी के बाद जनता की सुरक्षा सरकार करेगी। इसीलिए आर्म्‍स एक्‍ट की आवश्‍यकता नहीं रहनी चाहिए। महात्‍मा गांधी ने भी शस्‍त्र कानून को निरस्‍त करने की मांग की थी। लाइसेंसी हथियार चाहे तीन रखने की अनुमति रहे या फिर दो की। इससे फर्क क्‍या पड़ने वाला है? बेशक जिनकी सुरक्षा को खतरा है उन्‍हें जरूर हथियार लाइसेंस रखने की अनुमति दी जानी चाहिए लेकिन वह भी एक से ज्‍यादा क्‍यों लाइसेंसी हथियार जारी करने में भी सख्‍ती करनी ही होगी।        

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