Text Practice Mode
शिक्षा टायपिंग इंस्टीट्यूट कैयर पैथालाजी छिन्दवाड़ा CPCT और Typing की सम्पूर्ण तैयारी जाती हैै पिछले 3 वर्षो का अनुभव (कम्प्यूटर,गणित रीजिनिंग सहित) संचालक:- जयंत भलावी मो0नं. 9300463575,7354777233
created Dec 13th 2019, 04:10 by subhashydv
0
376 words
120 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
तमाम विरोध और प्रदर्शनों के बावजूद नागरिकता संशोधन बिल अब कानून बन गया है. लोकसभा और राज्यसभा से बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसे मंजूरी दे दी है, जिसके बाद अब ये कानून बन गया है. यानी पाकिस्तान-बांग्लादेश-अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू-जैन-बौद्ध-सिख-ईसाई-पारसी शरणार्थी आसानी से भारत की नागरिकता हासिल कर पाएंगे.इस बिल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले लोकसभा, फिर राज्यसभा में पेश किया था. कई घंटों की तीखी बहस के बाद ये बिल सदन में पास हुआ, लोकसभा में तो मोदी सरकार के पास बहुमत था लेकिन राज्यसभा में बहुमत ना होने के बावजूद सरकार को जीत मिली है.नागरिकता संशोधन बिल को लेकर विरोध क्यों हो रहा है, अब क्या नया कानून बन गया है और क्या बदलने वाला है. इस नज़र डालें...नागरिकता अधिनियम, 1955 में बदलाव करने के लिए केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन बिल लेकर आई. बिल के कानून बनने के साथ ही इसमें बदलाव हो गया. अब पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू-जैन-बौद्ध-सिख-ईसाई-पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी. अभी तक उन्हें अवैध शरणार्थी माना जाता था.पहले भारत की नागरिकता लेने पर 11 साल भारत में रहना अनिवार्य होता था, लेकिन अब ये समय घटा कर 6 साल कर दिया गया है.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में अपने भाषण में दावा किया था कि ऐसे लाखों-करोड़ों लोग हैं जिन्हें इस कानून से फायदा मिलेगा. नए कानून के मुताबिक, ये सभी शरणार्थियों पर लागू होगा चाहे वो किसी भी तारीख से आए हों.यानी जिस तारीख को वह भारत में आए, तभी से उन्हें भारत का नागरिक मान लिया जाएगा. अभी सरकार की ओर से एक कटऑफ तारीख भी जारी की गई है, 31 दिसंबर 2014 से पहले आए सभी हिंदू-जैन-बौद्ध-सिख-ईसाई-पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी.मोदी सरकार के इस कानून का पूर्वोत्तर में जबरदस्त विरोध हो रहा है. असम, मेघालय समेत कई राज्यों में लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं और लगातार बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, सरकार ने कानून लागू करते वक्त ये भी ऐलान किया है कि मेघालय, असम, अरुणाचल, मणिपुर के कुछ क्षेत्रों में कानून लागू नहीं होगा.स्थानीय लोगों की मांग के कारण केंद्र सरकार ने यहां इनर लाइन परमिट जारी किया है, इसकी वजह से ये नियम यहां लागू नहीं
saving score / loading statistics ...