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एक लड़का था जो अपने माता-पिता के साथ एक गांव में रहता था वह लड़का पढ़ने लिखने में तेज था लेकिन उसके दोस्तों की सोच थी कि यदि वे पढ़-लिखकर कोई नौकरी प्राप्त कर ले तो उनका जीवन सुखमय हो जाएगा और इस दुनिया की कोई भी सुख अपने धन दौलत से खरीद सकते हैं लेकिन वह लड़का अक्सर उनकी बातों से सहमत नहीं होता था और जिसके कारण उसके मन में अनेक विचार आते रहते थे। एक दिन की बात है वह इसी बात का जिक्र उसने अपने पिताजी से किया और कहा की पिताजी क्या अगर हमारे पास ढेर सारा धन हो जाए तो क्या हम दुनिया के सबसे खुशी इंसान हो सकते हैं तो यह बात सुनकर उस लड़के के पिताजी ने कहा की ठीक है शाम को जब मैं अपने काम से वापस लौटकर आऊंगा तो इसके बारे में हम बात करेंगे।
और फिर शाम को उस लड़के के पिताजी ने अपने बगीचे के लिए आम का एक नन्हा सा पौधा लाये और अपने बेटे के साथ अपने बगीचे में उसे लगाने जाते हैं फिर अपने बेटे के साथ मिलकर उस आम के पौधे को जमीन में लगा देते हैं। तो इसके बाद उस लड़के के पिताजी कहते हैं कि देखो बेटा तुमने आज सुबह पूछा था कि क्या धन से ही सारे सुख प्राप्त किया जा सकता है तो इस आम के पेड़ को देखो और सोचो की क्या हमने इसे बेकार में ही लगा दिया है क्योंकि इस पौधे को पेड़ बनने में काफी समय लगेगा और फिर इस पर फल आने में भी वक्त लगेगा और हो सकता है कि इसके फल हमें खाने को मिले या न मिले इससे हम सभी यही सोचते है कि यह समय की बर्बादी है।
तुम जरा सोचो अगर सब लोग यही सोचने लगे तो भला कोई पेड़ क्यों लगायेगा। अगर हमें फल खाना ही है तो हम अपने पैसों से बाजार से फल खरीदकर खा सकते हैं। जो कि बिना समय गवाएं तुरंत मिल जाता है। तो सोचो जब सबकी यही सोच होगी तो धन से सबकुद खरीदा जा सकता है ऐसे में कोई भी इन पेड़ों को नहीं लगाएगा। तो एक दिन ऐसा भी आएगा कि इस धरती पर सबके पास तो खूब धन दौलत तो हो सकती है लेकिन जब फल देने वाले पेड़ पौधे नहीं होंगे तो सोचो भला इन पैसों का क्या मोल होगा।
अपने पिता से यह सब बाते सुनकर उस लड़के को समझ में आ गया कि था कि हम सब तो यही सोचते हैं कि चलो अगर सब ढेर सारा धन कमा भी ले तो धन का कोई मोल नहीं होता जब तक इस धन की कोई कीमत ही न हो।
और फिर शाम को उस लड़के के पिताजी ने अपने बगीचे के लिए आम का एक नन्हा सा पौधा लाये और अपने बेटे के साथ अपने बगीचे में उसे लगाने जाते हैं फिर अपने बेटे के साथ मिलकर उस आम के पौधे को जमीन में लगा देते हैं। तो इसके बाद उस लड़के के पिताजी कहते हैं कि देखो बेटा तुमने आज सुबह पूछा था कि क्या धन से ही सारे सुख प्राप्त किया जा सकता है तो इस आम के पेड़ को देखो और सोचो की क्या हमने इसे बेकार में ही लगा दिया है क्योंकि इस पौधे को पेड़ बनने में काफी समय लगेगा और फिर इस पर फल आने में भी वक्त लगेगा और हो सकता है कि इसके फल हमें खाने को मिले या न मिले इससे हम सभी यही सोचते है कि यह समय की बर्बादी है।
तुम जरा सोचो अगर सब लोग यही सोचने लगे तो भला कोई पेड़ क्यों लगायेगा। अगर हमें फल खाना ही है तो हम अपने पैसों से बाजार से फल खरीदकर खा सकते हैं। जो कि बिना समय गवाएं तुरंत मिल जाता है। तो सोचो जब सबकी यही सोच होगी तो धन से सबकुद खरीदा जा सकता है ऐसे में कोई भी इन पेड़ों को नहीं लगाएगा। तो एक दिन ऐसा भी आएगा कि इस धरती पर सबके पास तो खूब धन दौलत तो हो सकती है लेकिन जब फल देने वाले पेड़ पौधे नहीं होंगे तो सोचो भला इन पैसों का क्या मोल होगा।
अपने पिता से यह सब बाते सुनकर उस लड़के को समझ में आ गया कि था कि हम सब तो यही सोचते हैं कि चलो अगर सब ढेर सारा धन कमा भी ले तो धन का कोई मोल नहीं होता जब तक इस धन की कोई कीमत ही न हो।
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