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शिक्षा ACT COMPUTER इंस्‍टीट्यूट कैयर पैथालाजी छिन्‍दवाड़ा प्रवेश प्रारंभ PGDCA DCA STENO TALLY CPCT NEW BATCH संचालक:- जयंत भलावी मो0नं. 9300463575,7354777233

created Jan 23rd 2020, 07:08 by jayant bhalavi


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जंगल के एक बड़े वट-वृक्ष की खोल में बहुत से बगुले रहते थे उसी वृक्ष की जड़ में एक साँप भी रहता था वह बगलों के छोटे-छोटे बच्चों को खा जाता था  
एक बगुला साँप द्वारा बार-बार बच्चों के खाये जाने पर बहुत दुःखी और विरक्त सा होकर नदी के किनारे बैठा  
उसकी आँखों में आँसू भरे हुए थे उसे इस प्रकार दुःखमग्न देखकर एक केकड़े ने पानी से निकल कर उसे कहा मामा क्या बात है, आज रो क्यों रहे हो ?  
बगुले ने कहा - "भैया ! बात यह है कि मेरे बच्चों को साँप बार-बार खा जाता है कुछ उपाय नहीं सूझता, किस प्रकार साँप का नाश किया जाय तुम्हीं कोई उपाय बताओ  
केकड़े ने मन में सोचा, 'यह बगला मेरा जन्मवैरी है, इसे ऐसा उपाय बताऊंगा, जिससे साँप के नाश के साथ-साथ इसका भी नाश हो जाय यह सोचकर वह बोला -  
"मामा ! एक काम करो, मांस के कुछ टुकडे़ लेकर नेवले के बिल के सामने डाल दो इसके बाद बहुत से टुकड़े उस बिल से शुरु करके साँप के बिल तक बखेर दो नेवला उन टुकड़ों को खाता-खाता साँप के बिल तक जायगा और वहाँ साँप को भी देखकर उसे मार डालेगा
बगुले ने ऐसा ही किया नेवले ने साँप को तो खा लिया किन्तु साँप के बाद उस वृक्ष पर रहने वाले बगुलों को भी खा डाला  
बगुले ने उपाय तो सोचा, किन्तु उसके अन्य दुष्परिणाम नहीं सोचे अपनी मूर्खता का फल उसे मिल गया सीख  करने से पहले सोचो  
 

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