Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤CPCT_Admission_Open✤|•༻
created Jan 23rd 2020, 07:28 by SubodhKhare1340667
0
356 words
5 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
हिमा दास का जन्म असम राज्य के नगाँव जिले के कांधूलिमारी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम रणजीत दास तथा माता का नाम जोनाली दास है। उनके माता पिता चावल की खेती करते हैं। ये चार भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। दास ने अपने विद्यालय के दिनों में लड़कों के साथ फुटबाल खेलकर क्रीड़ाओं में अपनी रुचि की शुरुआत की थी। वो अपना कैरियर फुटबॉल में देख रही थीं और भारत के लिए खेलने की उम्मीद कर रही थीं।
फिर जवाहर नवोदय विद्यालय के शारीरिक शिक्षक शमशुल हक की सलाह पर उन्होंने दौड़ना शुरु किया। शमशुल हक ने उनकी पहचान नगाँव स्पोर्ट्स एसोसिएशन के गौरी शंकर रॉव से कराई। फिर हिमा दास जिला स्तरीय प्रतियोगिता में चयनित हुईं और दो स्वर्ण पदक भी जीतीं।
जिला स्तरीय प्रतियोगिता के दौरान 'स्पोर्ट्स एंड यूथ वेलफेयर' के निपोन दास की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने हिमा दास के परिवार वालों को हिमा को गुवाहाटी भेजने के लिए मनाया जो कि उनके गांव से 140 किलोमीटर दूर था। पहले मना करने के बाद हिमा दास के घर वाले मान गए।
एथलेटिक्स में आने के बाद हिमा दास को सबसे पहले अपना परिवार छोड़कर करीब 140 किलोमीटर दूर आकर बसना पड़ा। शुरुआत में उकने परिजन इसके लिए राजी नहीं थे, लेकिन कोच निपोन ने काफी जिद करके हिमा के परिजनों को मनाया। फिर शुरु हुआ हिमा की कामयाबी का सफर।
हिमा दास गोल्ड मेडल जीतने के बाद इंडिया एथलीट्स के साथ एलीट क्लब में शामिल हो चुकी हैं। सीमा पुनिया, नवजीत कौर ढिल्लों और नीरज चोपड़ा की तरह वह एक ऐसी शख्सियत बनकर उभरी हैं, जिन्हें उनकी कामयाबी ने रातों रात लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया है। उनके कोच निपोन दास को पूरा विश्वास था, कि उनकी शिष्या कम से कम टॉप थ्री में जरूर शामिल होगी। अब 400 मीटर की रेस में उन्होंने अपनी ताकत का पूरी दुनिया में लोहा मनवाया है। हिमा दास ने 20 दिन में 6 गोल्ड जीते है।
आज हिमा दास ने एक छोटे से गांव से उठकर काफी मुस्किलों का सामना कर केवल अपने माता-पिता या गांव का ही नहीं बल्कि पूरे भारत देश का नाम रोशन किया है। 'वन्दे मातरम्'
फिर जवाहर नवोदय विद्यालय के शारीरिक शिक्षक शमशुल हक की सलाह पर उन्होंने दौड़ना शुरु किया। शमशुल हक ने उनकी पहचान नगाँव स्पोर्ट्स एसोसिएशन के गौरी शंकर रॉव से कराई। फिर हिमा दास जिला स्तरीय प्रतियोगिता में चयनित हुईं और दो स्वर्ण पदक भी जीतीं।
जिला स्तरीय प्रतियोगिता के दौरान 'स्पोर्ट्स एंड यूथ वेलफेयर' के निपोन दास की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने हिमा दास के परिवार वालों को हिमा को गुवाहाटी भेजने के लिए मनाया जो कि उनके गांव से 140 किलोमीटर दूर था। पहले मना करने के बाद हिमा दास के घर वाले मान गए।
एथलेटिक्स में आने के बाद हिमा दास को सबसे पहले अपना परिवार छोड़कर करीब 140 किलोमीटर दूर आकर बसना पड़ा। शुरुआत में उकने परिजन इसके लिए राजी नहीं थे, लेकिन कोच निपोन ने काफी जिद करके हिमा के परिजनों को मनाया। फिर शुरु हुआ हिमा की कामयाबी का सफर।
हिमा दास गोल्ड मेडल जीतने के बाद इंडिया एथलीट्स के साथ एलीट क्लब में शामिल हो चुकी हैं। सीमा पुनिया, नवजीत कौर ढिल्लों और नीरज चोपड़ा की तरह वह एक ऐसी शख्सियत बनकर उभरी हैं, जिन्हें उनकी कामयाबी ने रातों रात लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया है। उनके कोच निपोन दास को पूरा विश्वास था, कि उनकी शिष्या कम से कम टॉप थ्री में जरूर शामिल होगी। अब 400 मीटर की रेस में उन्होंने अपनी ताकत का पूरी दुनिया में लोहा मनवाया है। हिमा दास ने 20 दिन में 6 गोल्ड जीते है।
आज हिमा दास ने एक छोटे से गांव से उठकर काफी मुस्किलों का सामना कर केवल अपने माता-पिता या गांव का ही नहीं बल्कि पूरे भारत देश का नाम रोशन किया है। 'वन्दे मातरम्'
saving score / loading statistics ...