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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jun 21st 2020, 15:05 by lovelesh shrivatri
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योगासन शरीर और मन को स्वस्थ रखने की प्राचीन भारतीय प्रणाली है। शरीर को किसी ऐसे आसन या स्थिति में रखना जिससे स्थिरता और सुख का अनुभव हो योगासन कहलाता है। योगासन शरीर की आन्तरिक प्रणाली को गतिशील करता है। इससे रक्त-नलिकाएं साफ होती है तथा प्रत्येक अंग में शुद्ध वायु का संचार होता है जिससे उनमें स्फूर्ति आती है। परिणामत: व्यक्ति में उत्साह और कार्य-क्षमता का विकास होता है तथा एकाग्रता आती है।
शरीर के स्वस्थ रहने पर ही मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। मस्तिष्क से ही शरीर की समस्त क्रियाओं का संचालन होता है। इसके स्वस्थ और तनावमुक्त होने पर ही शरीर की सारी क्रियाएं भली प्रकार से सम्पन्न होती हैं। इस प्रकार हमारे शरीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास के लिए योगासन अति आवश्यक है।
हमारा हृदय निरन्तर कार्य करता है। हमारे थककर आराम करने या रात को सोने के समय भी हृदय गतिशील रहता है। हृदय प्रतिदिन 8 हजार लीटर रक्त पम्प करता है। उसकी यह क्रिया जीवन भर चलती रहती है। यदि हमारी रक्त-नलिकाएं साफ होगी तो हृदय को अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। इससे हृदय स्वस्थ रहेगा और शरीर के अन्य भागों को शुद्ध रक्त मिल पाएगा जिससे नीरोग व सबल हो जाएंगे। फलत: व्यक्ति की कार्य-क्षमता भी बढ़ जाएगी।
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हमारे जीवन में योग अत्यन्त उपयोगी है। शरीर मन एवं आत्मा के बीच सन्तुलन आर्थात् योग स्थापित करना होता है। योग की प्रक्रियाओं में जब तन, मन और आत्मा के बीच सन्तुलन एवं योग जुड़ाव स्थापित होता है। तब आत्मिक सन्तुष्टि, शान्ति एवं चेतना का अनुभव होता है। योग शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखता है साथ ही तनाव से भी मुक्ति दिलाता है। यह शरीर के जोड़ों एवं मांसपेशियों में लचीलापन लाता है। इन सबके अतिरिक्त यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्तियां बढ़ाता है कई प्रकार की बीमारियों जैसे अनिद्रा, तनाव, थकान उच्च रक्तचाप, चिन्ता इत्यादि को दूर करता है तथा शरीर को ऊर्जावान बनाता है। आज की भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में स्वस्थ रह पाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
शरीर के स्वस्थ रहने पर ही मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। मस्तिष्क से ही शरीर की समस्त क्रियाओं का संचालन होता है। इसके स्वस्थ और तनावमुक्त होने पर ही शरीर की सारी क्रियाएं भली प्रकार से सम्पन्न होती हैं। इस प्रकार हमारे शरीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास के लिए योगासन अति आवश्यक है।
हमारा हृदय निरन्तर कार्य करता है। हमारे थककर आराम करने या रात को सोने के समय भी हृदय गतिशील रहता है। हृदय प्रतिदिन 8 हजार लीटर रक्त पम्प करता है। उसकी यह क्रिया जीवन भर चलती रहती है। यदि हमारी रक्त-नलिकाएं साफ होगी तो हृदय को अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। इससे हृदय स्वस्थ रहेगा और शरीर के अन्य भागों को शुद्ध रक्त मिल पाएगा जिससे नीरोग व सबल हो जाएंगे। फलत: व्यक्ति की कार्य-क्षमता भी बढ़ जाएगी।
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हमारे जीवन में योग अत्यन्त उपयोगी है। शरीर मन एवं आत्मा के बीच सन्तुलन आर्थात् योग स्थापित करना होता है। योग की प्रक्रियाओं में जब तन, मन और आत्मा के बीच सन्तुलन एवं योग जुड़ाव स्थापित होता है। तब आत्मिक सन्तुष्टि, शान्ति एवं चेतना का अनुभव होता है। योग शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखता है साथ ही तनाव से भी मुक्ति दिलाता है। यह शरीर के जोड़ों एवं मांसपेशियों में लचीलापन लाता है। इन सबके अतिरिक्त यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्तियां बढ़ाता है कई प्रकार की बीमारियों जैसे अनिद्रा, तनाव, थकान उच्च रक्तचाप, चिन्ता इत्यादि को दूर करता है तथा शरीर को ऊर्जावान बनाता है। आज की भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में स्वस्थ रह पाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
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