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ताकत का दुरूपयोग

created Jul 28th 2020, 09:39 by Soniya S


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मुगल बादशाह बाबर के सैनिकों ने एमनाबाद शहर के पास पड़ाव डाला। इसके बाद सैनिकों ने शहर में जाकर केवल उत्‍पाद मचाया बल्कि निरीह जनता को घोड़ो की टापों तले रौंद डाला। डनहोंने बहुत सारा सामान लूटा और उसे ढोने के लिए लोगों को पकड़ने लगे। गुरूनानक का मुकाम भी उस समय एमनाबाद में ही था। अनायास वे उधर से निकले और सारा दृश्‍य देखकर उनके मुख से ये शब्‍द निकले - सत्‍य नाम कर्ता पुरूष सैनिकों ने उन जैसे मजबूत कद काठी वाले पुरूष को देखा तो उन्‍हें सामान ढोने को कहा किंतु नानक देव ने सामान ढोना अस्‍वीकार कर दिया। तब उन्‍हें कुछ ओर लोगों के साथ बंदी बना लिया। कारागार में नानक देव के तेज के सामने जेलर तथा पहरेदार नतमस्‍तक हो गए। बात बाबर के पास पहूँची। वह उनकी कोठरी के पास गया और उसने उनके सम्‍मुख अपना सिर झुकाया इस पर नानक देव बोले, ‘उस अकाल पुरूष का आदाब बजाओ, शंहशाह!’ बाबर ने नानक देव की ख्‍याति सुनी थी, किंतु उनके दर्शन अब तक नही किए थे वह समझ गया की यह निश्‍चय ही ये गुरू नानकदेव हैं वह बोले, “हमारे सैनिकों ने आपके साथ जो गुस्‍ताखी की है, उसका मुझे बहुत अफसोस है और उसके लिए मैं आपसे मुआफी चाहता हूँ,” इस पर गुरूनानक देव बोले, ‘मुआफी तो उससे मांगना चाहिए जिसकी सृष्टि को तुमने रौंद डाला है, निरही जनता का तुमने कत्‍ल किया है मुआफी उन बेगुनाहों से मांगो, जिनको तुमने बेवजह कारागार में डाल रखा है,’ बाबर ने पश्‍चाताप करते हुए कहा, ‘मैं आपको जुबान देता हुँ कि अब कभी बेगुनाह लोगों को तंग नहीं करूंगा।’ गुरूनानक बोले, ‘अपनी ताकत का प्रयोग गरीबों को सताने में नहीं बल्कि उनका दिल जीतने मेंकरना चाहिए।’ बाबर ने हामी भरी और गुरूनानक देव सहित सभी को रिहा कर आदर सहित नगरसीमा तक पहुँचा आया।  

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