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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Oct 19th 2020, 15:51 by lucky shrivatri
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एक गांव में रामलाल नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह घर को रंगने का काम करता था। वह अपना काम बड़ी ईमानदारी और मेहनत से करता था। मेहनत करने के बाद भी बहुत कम कमा पाता था। जिससे की केवल दो समय की रोटी का जुगाड़ ही होता था। वह ज्यादा काम करना चाहता था। एक दिन गांव के जमींदार ने रामलाल को बुलाया। रामलाल जमींदार के पास गया। जमींदार ने कहा कि मेरे पास एक नांव है तुमको उस पर रंग करना है और उसको रंग आज के दिन ही करना है। रामलाल ने जमींदार को बोला की वह रंग कर देगा। जमींदार ने रामलाल से रंग करने का रेट पूछा तो रामलाल ने बोला की वह रंग करने का 15 सौ रूपये लेगा। इसके बाद जमींदार ने रामलाल को नदी के किनारे खड़ी नाव दिखा दी। रामलाल अपने घर से रंग लाकर बड़ी सफाई के साथ उसमें रंग करने लगा। वह जब रंग कर रहा था तो उसको नाव में एक छेद नजर आया।
उसने सोचा यदि मैं इसके ऊपर रंग कर दूंगा तो यह नाव डूब जाएगी। इसलिए पहले उसने उस छेद को भरा फिर उस पर रंग किया। नाव के रंग का काम पूरा होने पर वह जमींदार को नाव दिखाने लाया। जमींदार ने नाव को देखने के बाद पैसे अगले दिन देने की बात की। जिसके बाद रामलाल चला गया। अगले दिन जमींदार बीवी बच्चे उस नाव में बैठकर नदी के पार घूमने के लिए चले गए। शाम को जब जमींदार का नौकर लौटा तो उसने घर के बाकी सदस्यों को घर में न देखकर जमींदार से पूछा तो जमींदार ने बताया की वह नाव में बैठकर नदी के पार घूने गए है। नौकर ने जमींदार को बताया की उस नाव में तो छेद था। जमींदार इस बात से बहुत परेशान हो गया। इसके कुछ देर के बाद ही जमींदार की बीवी और बच्चे घर सकुशल लौट आये। उनको पता चल चूका था की रामलाल ने नाव में रंग करते समय उस छेद को भर दिया। इसके बाद जब रामलाल अपने पैसे लेने आया तो उसको पैसे दिए। रामलाल ने गिने तो उसमें 6 हजार रूपए थे। रामलाल ने कहा आपने गलती से मुझे ज्यादा रूपए दे दिए है। रामलाल ने कहा की नहीं यह तुम्हारे काम का इनाम है जो तुमने किया है। तुमने नाव में रंग करते समय जो छेद भरा था। उसकी वजह से मेरे परिवार की जान बच गयी। रामलाल पैसे लेकर घर चला गया। वह बहुत खुश था।
उसने सोचा यदि मैं इसके ऊपर रंग कर दूंगा तो यह नाव डूब जाएगी। इसलिए पहले उसने उस छेद को भरा फिर उस पर रंग किया। नाव के रंग का काम पूरा होने पर वह जमींदार को नाव दिखाने लाया। जमींदार ने नाव को देखने के बाद पैसे अगले दिन देने की बात की। जिसके बाद रामलाल चला गया। अगले दिन जमींदार बीवी बच्चे उस नाव में बैठकर नदी के पार घूमने के लिए चले गए। शाम को जब जमींदार का नौकर लौटा तो उसने घर के बाकी सदस्यों को घर में न देखकर जमींदार से पूछा तो जमींदार ने बताया की वह नाव में बैठकर नदी के पार घूने गए है। नौकर ने जमींदार को बताया की उस नाव में तो छेद था। जमींदार इस बात से बहुत परेशान हो गया। इसके कुछ देर के बाद ही जमींदार की बीवी और बच्चे घर सकुशल लौट आये। उनको पता चल चूका था की रामलाल ने नाव में रंग करते समय उस छेद को भर दिया। इसके बाद जब रामलाल अपने पैसे लेने आया तो उसको पैसे दिए। रामलाल ने गिने तो उसमें 6 हजार रूपए थे। रामलाल ने कहा आपने गलती से मुझे ज्यादा रूपए दे दिए है। रामलाल ने कहा की नहीं यह तुम्हारे काम का इनाम है जो तुमने किया है। तुमने नाव में रंग करते समय जो छेद भरा था। उसकी वजह से मेरे परिवार की जान बच गयी। रामलाल पैसे लेकर घर चला गया। वह बहुत खुश था।
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