Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Jan 9th 2021, 10:48 by my home
0
285 words
0 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
पुनरीक्षण के आधार यह हैं कि विचारण न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 22 अगस्त विधि के प्रतिकूल है। विचारण न्यायालय द्वारा अभियोजन साक्ष्य हेतु कई अवसर दिये जाने के बावजूद अभियोजन साक्षीगण न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हुये थे। अभियोजन की ओर से प्रस्तुत आवेदन पत्र निराधार था, उसे विचारण न्यायालय द्वारा स्वीकार करके विधिक त्रुटि की गयी थी। अभियोजन की ओर से किये गये निवेदन पर ही अभियोजन साक्ष्य समाप्त की गयी है। ऐसी दशा में अभियोजन की ओर से प्रस्तुत आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 311 दण्ड प्रक्रिया संहिता स्वीकार योग्य नहीं था। अभियोजन की ओर से प्रकरण में अभियोजन साक्ष्य हेतु नियत पेशियों पर अभियोजन साक्षीगण के उपस्थित न होने की स्थिति में अनुपस्थिति का कोई कारण नहीं दर्शाया गया है। ऐसी स्थिति में अभियोजन की ओर से विचारण न्यायालय में धारा 311 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत सद्भावना पर आधारित न होने से निरस्त किये जाने योग्य था, परंतु विचारण न्यायालय ने उक्त महत्वपूर्ण बिंदू पर गंभीरतापूर्वक विचार किये बिना आवेदन स्वीकार किया है। अभियोजन साक्ष्य समाप्त होने के बाद किसी भी पक्षकार की ओर से प्रस्तुत किये गये आवेदन से संबंधित पक्षकार को पूर्व में नियत पेशियों पर साक्ष्य प्रस्तुत न होने के संबंध में उचित कारण बताना आवश्यक है और संबंधित पक्षकार की ओर से बताये गये स्पष्टीकरण एवं कारण को न्यायालय द्वारा उचित पाये जाने पर ही संबंधित कारण का उल्लेख करते हुए आदेश पारित किया जा सकता है। परंतु अभियोजन की ओर से प्रस्तुत आवेदन में ऐसा कोई स्पष्टीकरण अथवा कारण नहीं दर्शाया गया है। इसके उपरांत भी विचारण न्यायालय द्वारा अभियोजन की ओर से प्रस्तुत आवेदन को स्वीकार करने में भूल की गयी है। अत: उक्त पुनरीक्षण याचिका निरस्त किये जाने का निवेदन किया गया है।
saving score / loading statistics ...