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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट मेन रोड़ गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा प्रवेश प्रारंभ मो0नं0 8982805777 प्रो.सचिन बंसोड

created Feb 26th 2021, 11:39 by Ashu Soni


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कई मोड़ और मोड़ और राज्‍य सरकार और राज्‍य चुनाव आयुक्‍त के बीच एक उच्‍च-वोल्‍टेज टकराव के बाद, आंध्र प्रदेश में पंचायत चुनाव आखिरकार रविवार को संपन्‍न हो गए, जिससे सत्‍तारूढ़ वाईएसआरसी को हड़बड़ी में भेज दिया गया। हालांकि, ये चुनाव विभिन्‍न राजनीतिक दलों के बिना होने की संभावना है, जैसा कि मानक है, वे किसी भी अन्‍य चीज़ की तुलना में एक राजनीतिक संबंध से अधिक थे। यह कोई आश्‍चर्य की बात नहीं थी कि वाईएसआरसी द्वारा समर्थित उम्‍मीदवार ट्रंप के पक्ष में आए क्‍योंकि सत्‍ताधारी पार्टी को आमतौर पर स्‍थानीय चुनावों में लाभ मिलता है। लेकिन जो अप्रत्‍याशित  वह विपक्षी टीडीपी के प्रति सहानुभूति रखने वाले उम्‍मीदवारों का अपमान जनक प्रदर्शन था। टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू की शर्मिंदगी तब पूरी हो गई जब उनकी पार्टी के समर्थकों ने अपने ही निर्वाचन क्षेत्र कुप्‍पम में 89 पंचायतों में से 74 को खो दिया ऐसा कुछ पहले कभी नहीं हुआ था क्‍यों‍कि उन्‍होंने 1989 में इसे अपना घर बना लिया था। लोकतंत्र की हत्‍या के आरोपों के बावजूद।  लेखन दीवार पर किया गया है। पार्टी नीचे की ओर सर्पिल है और इसकी नींव कोर से हिल गई है। एक तरह से, नायडू की कुप्‍पम पराजय से पार्टी की दुर्दशा होती है। जमीनी स्‍तर से लेकर शीर्ष तक हर स्‍तर पर नेतृत्‍व की विफलता नायडू और उनकी खटिया को छोड़कर सभी के लिए विशिष्‍ट है। पार्टी का कहना है कि नायडू वास्‍तविकता से बेखबर हैं और उन्‍हें डर है कि आर्मचेयर सलाहकारों पर उनकी निरंतर निर्भरता पार्टी को निर्जीव बना सकती है क्‍योंकि बढ़ती संख्‍या में कैडर जंपिंग शिप के साथ कांग्रेस।

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