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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Apr 15th 2021, 09:30 by lovelesh shrivatri
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एक थे राजा। उन्हें पशु-पक्षियों से बहुत प्यार था। वे पशु-पक्षियों से मिलने के लिए वन में जाते थे। हमेशा की तरह एक दिन राजा पशु-पक्षियों को देखने के लिए वन गए। अचानक आसमान में बादल छा गए और तेज बारिश होने लगी। बारिश होन के कारण उन्हें ठीक से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। राजा रास्ता भटक गए। रास्ता ढूंढते-ढूंढते किसी तरह राजा जंगल के किनारे पहुंच ही गए। भूख-प्यास और थकान से बेचैन राजा एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गए। तभी राजा को उधर से आते हुए तीन बालक दिखाई दिए।
राजा ने उन्हें प्यार से अपने पास बुलाया। बच्चों यहां आओ। मेरी बात सुनो। तीनों बालक हंसते-खेलते राजा के पास आ गए। तब राजा बोले मुझे बहुत भूख और प्यास लगी है। क्या मुझे भोजन और पानी मिल सकता है। बालक बोले, पास में ही हमारा घर है। हम अभी जाकर आपके लिए भोजन और पानी लेकर आते हैं। आप बस थोड़ा-सा इंतजार कीजिए। तीनों बालक दौड़कर गए और राजा के लिए भोजन और पानी ले आए। राजा बालकों के व्यवहार से बहुत खुश हुए। वे बोले, प्यारे बच्चों, तुमने मेरी भूख और प्यास मिटाई है। मैं तुम तीनों बालकों को इनाम के रूप में कुछ देना चाहता हूं। बताओं तुम बालकों को क्या चाहिए।
थोड़ी देर सोचने के बाद एक बालक बोला, महाराज क्या आप मुझे एक बड़ा सा बंगला और गाड़ी दे सकते है। राजा बोले, हां-हां क्यों नहीं। अगर तुम्हे ये ही चाहिए तो जरूर मिलेगा। अब तो बालक फूले न समाया। दूसरा बालक भी उछलते हुए बोला, मैं बहुत गरीब हूं। मुझे धन चाहिए। जिससे मैं भी अच्छा-अच्छा खा सकूं, अच्छे-अच्छे कपड़े पहन सकूं और खूब मस्ती करूं। राजा मुसकाराकर बोले, ठीक है बेटा में तुम्हे बहुत सारा धन दूंगा। यह सुनकर दूसरा बालक खुशी दूसरा बालक खुशी से झूम उठा। भला तीसरा बालक क्यों चुप रहता। वह भी बोला, महाराज। क्या आप मेरा सपना भी पूरा करेंगे। मुस्कराते हुए राजा ने बोला क्यो नहीं, बोलो बेटा तुम्हारा क्या सपना है। तुम्हें धन-दौलत चाहिए। नहीं महाराज। मुझे धन-दौलत नहीं चाहिए। मेरा सपना है कि मैं पढ़-लिखकर विद्वान बनूं। क्या आप मेरे लिए कुछ कर सकते है। तीसरे बालक की बात सुनकर राजा बहुत खुश हुए। राजा ने उसके पढ़ने-लिखने की उचित व्यवस्था करवा दी। वह मेहनती बालक था। वह दिन-रात लगन से पढ़ता और कक्षा में पहला स्थान प्राप्त करता। इस तरह समय बीतता गया। वह पढ़-लिखकर विद्वान बन गया।
राजा ने उसे राज्य का मंत्री बना दिया। बुद्धीमान होने के कारण सभी लोग उसका आदर-सम्मान करने लगे।
शिक्षा- किसी के भी पास धन-दौलत हमेशा नहीं रहता। धन तो आता-जाता रहता है। सिर्फ शिक्षा है जो हमेशा हमारे पास रहती है। धन से नहीं बल्कि शिक्षा से ही हम धनवान बनते है।
राजा ने उन्हें प्यार से अपने पास बुलाया। बच्चों यहां आओ। मेरी बात सुनो। तीनों बालक हंसते-खेलते राजा के पास आ गए। तब राजा बोले मुझे बहुत भूख और प्यास लगी है। क्या मुझे भोजन और पानी मिल सकता है। बालक बोले, पास में ही हमारा घर है। हम अभी जाकर आपके लिए भोजन और पानी लेकर आते हैं। आप बस थोड़ा-सा इंतजार कीजिए। तीनों बालक दौड़कर गए और राजा के लिए भोजन और पानी ले आए। राजा बालकों के व्यवहार से बहुत खुश हुए। वे बोले, प्यारे बच्चों, तुमने मेरी भूख और प्यास मिटाई है। मैं तुम तीनों बालकों को इनाम के रूप में कुछ देना चाहता हूं। बताओं तुम बालकों को क्या चाहिए।
थोड़ी देर सोचने के बाद एक बालक बोला, महाराज क्या आप मुझे एक बड़ा सा बंगला और गाड़ी दे सकते है। राजा बोले, हां-हां क्यों नहीं। अगर तुम्हे ये ही चाहिए तो जरूर मिलेगा। अब तो बालक फूले न समाया। दूसरा बालक भी उछलते हुए बोला, मैं बहुत गरीब हूं। मुझे धन चाहिए। जिससे मैं भी अच्छा-अच्छा खा सकूं, अच्छे-अच्छे कपड़े पहन सकूं और खूब मस्ती करूं। राजा मुसकाराकर बोले, ठीक है बेटा में तुम्हे बहुत सारा धन दूंगा। यह सुनकर दूसरा बालक खुशी दूसरा बालक खुशी से झूम उठा। भला तीसरा बालक क्यों चुप रहता। वह भी बोला, महाराज। क्या आप मेरा सपना भी पूरा करेंगे। मुस्कराते हुए राजा ने बोला क्यो नहीं, बोलो बेटा तुम्हारा क्या सपना है। तुम्हें धन-दौलत चाहिए। नहीं महाराज। मुझे धन-दौलत नहीं चाहिए। मेरा सपना है कि मैं पढ़-लिखकर विद्वान बनूं। क्या आप मेरे लिए कुछ कर सकते है। तीसरे बालक की बात सुनकर राजा बहुत खुश हुए। राजा ने उसके पढ़ने-लिखने की उचित व्यवस्था करवा दी। वह मेहनती बालक था। वह दिन-रात लगन से पढ़ता और कक्षा में पहला स्थान प्राप्त करता। इस तरह समय बीतता गया। वह पढ़-लिखकर विद्वान बन गया।
राजा ने उसे राज्य का मंत्री बना दिया। बुद्धीमान होने के कारण सभी लोग उसका आदर-सम्मान करने लगे।
शिक्षा- किसी के भी पास धन-दौलत हमेशा नहीं रहता। धन तो आता-जाता रहता है। सिर्फ शिक्षा है जो हमेशा हमारे पास रहती है। धन से नहीं बल्कि शिक्षा से ही हम धनवान बनते है।
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