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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created May 2nd 2021, 11:59 by lovelesh shrivatri


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किसी भी व्‍यक्ति या परिवार का एक महत्‍वपूर्ण सपना होता है कि उसके पास अपना आवास हो। आवास होना व्‍यक्ति या परिवार की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक सुरक्षा का द्योतक है। संयुक्‍त राष्‍ट्र तथा उसके विभिन्‍न घटक निकायों ने पर्याप्‍त आवास के अधिकार को बुनियादी मानवाधिकार के रूप में स्‍वीकृति प्रदान की है। आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक अधिकारों पर संयुक्‍त राष्‍ट्र समिति ने भी रेखाकिंत किया है कि पर्याप्‍त आवास के अधिकार की व्‍याख्‍या करते समय संकीर्णता का भाव नहीं होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि पर्याप्‍त आवास के अधिकार को मात्र चारदीवारी और एक छत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।  
गौरतलब है कि भारत ने पर्याप्‍त आवास के अधिकार के संदर्भ में विभिन्‍न अंतरराष्‍ट्रीय समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए है। इसके बावजूद देश में करोड़ों लोग अब भी खुले में रात बिताते है। पर्याप्‍त आवास में चार दीवारी और एक छत के अतिरिक्‍त बिजली एवं पानी की आपूर्ति के साथ स्‍वच्‍छता तथा सीवेज प्रबंधन जैसी बुनियादी सुविधाओं को भी शामिल किया जाता है। भारत में उच्‍चतम न्‍यायालय ने भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद-21 के तहत पर्याप्‍त आवास के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप मान्‍यता दी है। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जनहित याचिका राजेश यादव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के केस में कहा था कि, संविधान के अनुच्‍छेद 19(1) के तहत आश्रय का अधिकार मूल अधिकार है। अनुच्‍छेद 21 के जीवन के अधिकार के तहत आवास का अधिकार भी शामिल है। सरकार का संवैधानिक दायित्‍व है कि, वह गरीबो को आवास मुहैया कराए। कोर्ट ने कहा कि आवास का अधिकार केवल जीवन का संरक्षण ही नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एंव धार्मिक विकास के लिए जरूरी है। आवास सभी मूलभूत सुविधाओं के साथ होना चाहिए। इन स्थितियों को देखते हुए आवास के अधिकार को कई अंतरराष्‍ट्रीय संधियों, भारतीय संविधान उच्‍च्‍तम न्‍यायालय ने अनिवार्य माना है। लोगों को आवास उपलब्‍ध करवाने के लिए सरकारें भी प्रयास कर रही है।  
पूर्ववर्ती इंदिरा आवास योजना का पुनर्गठन कर इसे प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम दिया गया। इस दिशा में अभी ठोस प्रयासों की जरूरत है। यदि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में हमें आवास असमानता को कम करना है तो इसके लिए एक एकीकृत आवासीय विकास रणनीति अपनाने की आवश्‍यकता होगी। शासन के विभिन्‍न स्‍तरों पर सामाजिक अंकेक्षण के साथ-साथ इस तरह के मिशल को लागू करने के संबंध में जवाबदेही तय की जानी चाहिए। पेयजल आपूर्ति, घरेलू शौचालय, ऊर्जा और जल निकासी से संबंधित अन्‍य लागतों के अलावा नई आवासीय इकाईयों के पुनर्विकास को ध्‍यान में रखकर संसाधनों के सही आवंटन की आवश्‍यकता है।  

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