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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565

created Sep 20th 2021, 03:55 by lucky shrivatri


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अमीर-गरीब का फासला कितना है क्‍या इसे मापा जा सकता है? इसके राष्‍ट्रीय अंतरराष्‍ट्रीय पैमाने क्‍या है। समय के साथ फासला कम हो रहा है या बढ़ रहा है। इन प्रश्‍नों के जवाब देश-दुनिया में किए जा रहे विभिन्‍न अध्‍ययनों और सर्वे में खोजने की कोशिश की जाती रही है। हाल ही में सामने आए ऑल इंडिया डेट एंड इन्‍वेस्‍टमेंट सर्वे-2019 की रिपोर्ट ने एक बार फिर देश में लगातार बढ़ता गैर-बराबरी की ओर ध्‍यान खींचा है। रिपोर्ट बताती है कि देश की कुल संपत्ति का आधे से अधिक हिस्‍सा दस फीसदी आबादी के हाथों में सिमट गया है। निचले हिस्‍से की 50 फीसदी आबादी के पास महज दस फीसदी संपत्ति है। गांवों के मुकाबले शहरों में यह खाई और भी गहरी है।  
ऐसे ही बीते वर्ष मानवाधिकारों की पैरवी करने वाले संगठन ऑक्‍सफेम की रिपोर्ट में बताया गया कि दुनिया के साथ-साथ भारत में भी आर्थिक असमानता बढ़ी है। भारत में 63 अरबपतियों के पास देश के आम बजट की राशि से भी अधिक संपत्ति है। इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि बढ़ती आर्थिक असमानता को कम करना सरकारों के लिए सबसे बड़ी आर्थिक असमानता को कम करना सरकारों के लिए सबसे बड़ी आर्थिक सामाजिक चुनौती है। वैसे तो आंकड़े मौजूद नहीं है, मगर कोरोना काल में स्थिति और बदतर प्रतीत होती है। इस दौर में बड़ी संख्‍या में लोग बेघर हुए, बीमारी के बोझ से टूटे और अब रोजगार की कमी से जूझ रहे है। अमीर-गरीब की खाई को पोटने के लिए दो रास्‍ते अपनाए गए है। एक तो गरीबों के हाथों तक कॉर्पोरेट मदद कारगर रूप से पहुंचाई जाए और दूसरा यह कि गरीबों को आर्थिक रूप से सशक्‍त बनाने के लिए बनी सरकारी योजनाओं को कारगर तरीके से लागू किया जाए।  
हाल ही में प्रकाशित भारत में कॉर्पेरेट सामाजिक उत्तरदायित्‍व (सीएसआर) रिपोर्ट में बताया गया है कि सीएसआर खर्च हर साल बढ़ता जा रहा है। भारत में गरीबी, भुखमरी और कुपोषण से पीडि़त लोगों तक सीएसआर की राशि नहीं के बराबर पहुंच रही है। दूसरा यह कि बड़ी संख्‍या में कंपनियां सीएसआर के उद्देश्‍य के अनुरूप खर्च नहीं कर रही है। तीसरा यह कि कंपनियां सीएसआर पर बड़ा खर्च विकसित प्रदेशों में ही कर रही है, जिससे लक्ष्‍य तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है। देश में आर्थिक असमानता दूर करने के लिए कमजोर वर्ग के सशक्‍तीकरण के लिए अधिक प्रयास करने होगे। खासतौर से खेती पर विशेष ध्‍यान देना होगा। ऐसे नए उद्यमों को प्रोत्‍साहन देना होगा, जो कृषि उत्‍पादों को लाभदायक कीमत दिलाने में मदद करें।  

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