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बिना विचारे जो करे ,सो पाछे पछताए

created May 13th 2022, 06:01 by unnati


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किसी नगर में देवशर्मा नाम का एक ब्राहृाण रहा करता था उसके पर के एक कोने में बिल बनाकर एक नेवली भी रहती थी जिस दिन देवशर्मा की पली ने अपने पुत्र को जन्‍म दिया, उसी दिन मेवली को भी एक बच्‍चा पैदा हुआ।  
 
किन्‍तु बच्‍चे काे जन्‍म देने के बाद नेवली आपिक देर तक जीवित  रह सकी। उसका देहांत हो गया।  
पाहाणी को उस नवजात शिशु पर बहुत दया आई उसने अपने पुत्र की तरह उस दिवाली के पुत्र भी लालन-पालन आरंभ कर दिया।  
 
धीरे-धीरे नेवला बड़ा हो गया अब वह प्राय: ब्राहृमणी के पुत्र के साथ दोनों में खूब मित्रता हो गई थी लेकिन अपने पुत्र और नेवले में इतना प्‍यार होने पर भी ब्रहृमणी हमेश  उसके प्रति शंकित ही रहती थी।
 
एक दिन की बात है कि ब्रहृमणी अपने पुत्र को सुलाकर हाथ में घड़ा लेकर अपने पति से बोली- मैं सरोवर पर जल लेने जा रही हूं ज‍ब तक मैं लौंटू तब तक आप यहीं रूकना और बच्‍चे की देखभाल करते रहना।,  
 
वह एक निमंत्रण में चल गया और एक काला नाग वहां पहुंचा नेवले ने देख लिया। उसे डर था कि बच्‍चे को काट ले और नाग को मारने के लिए उसी दिशा में चल गया उसकी खून से सनी देह को देखकर मन आशंकाओं से भर उठा कि पुत्र को तो नहीं काट लिया।  
 
और उस ने नेवले के बच्‍चे को मार दिया।
जब घर के आदर गई तो बच्‍चा सो रहा था। फिर उस कि छाती पच्‍श्रताप से उस की छाती फटने लगी।  
 
उसकी पली ने रोते हुए नेवले की मृत्‍यु का समाचार सुनाया मनुष्‍य को अतिलोभ कभी नहीं करना चाहिए।

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